लेकसिटी के 24 जैन मंदिरों में चल रहे सम्यक ज्ञान शिक्षण शिविर का हुआ समापन

उदयपुर। झीलों एवं धर्म की नगरी उदयपुर में श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर एवं श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में चारित्र चक्रवर्ति आचार्य शांतिसागर एवं संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज के मंगल आशीष से एवं मुनि पुंगव सुधासागर महामुनि राज के मंगल प्रेरणा से आयोजित 27वें सम्यक् ज्ञान शिक्षण शिविर का ऐतिहासिक भव्य सामूहिक समापन नगर निगम स्थित सुखाडिय़ा रंगमंच सभागार में सम्पन्न हुआ। झीलों की नगरी में आठ दिनों तक खुब धर्म ज्ञान की गंगा का प्रवाह हुआ। सभी विद्वानों को सेवा समर्पण में धार्मिक संस्कारों से ओत-प्रोत जैन धर्म की मौलिक शिक्षाएं प्रदान करने में दिए गए सहयोग के लिए साधुवाद दिया।
क्षेत्रीय प्रभारी एवं शिविर संयोजक सम्राट शास्त्री ने बताया कि उदयपुर में विराजमान अनेकों संतो के मंगल आशीष एवं गुरुदेव के मंगल वरदहस्त की छाँव तले शिविर सानंद सम्पन्न हुआ। खचाखच भरे सुखाडिय़ा रंगमंच पर श्रावक-श्राविकाओं ने पूरा सभागार जयकारों से गुंजायमान कर दिया। आयोजन में उदयपुर के 24 मंदिरों के श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया जिनको प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरुस्कार प्रदान किया गया। 4000 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं व बच्चों ने धर्म संस्कार का ज्ञान प्राप्त किया। समारोह का आगाज मंगलाचरण नेमिनाथ जैन मंदिर सेक्टर 3 के बच्चों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नेमिचन्द्र-अर्चना पटवारी थे। समारोह की अध्यक्षता महेंद्र टाया ने की, चित्र अनावरण पारस सिंघवी एवं अशोक-सीमा गोधा ने किया। दीप प्रज्ज्वलन प्रमोद-मधु चौधरी ने किया। शिविर के मुख्य सहयोगी आर के मार्बल परिवार का शिविर समिति के द्वारा धन्यवाद दिया।
धर्म प्रभावना समिति के अध्यक्ष कुंथु कुमार गणपतोत ने बताया कि सुधासागर की मंगल भावना के अनुरूप संपूर्ण भारत वर्ष में जैन धर्म प्रचारक विद्वान शिविरों की माध्यम से ज्ञान गंगा का प्रवाह कर रहे हैं। समारोह अध्यक्ष महेंद्र टाया ने सांगानेर संस्थान के प्रति अपना आभार प्रकट किया। सम्राट शास्त्री ने जिनवाणी सजाओ प्रतियोगिता का परिणाम घोषित किया। साथ ही विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों में यदि धार्मिक संस्कार जगाने का प्रयास किया जाए तो उनमें अच्छे गुणों का पनपना सहज हो जाएगा और अच्छे गुणों से ही सुसंस्कारित जीवन बन सकता है।
जिनेन्द्र गांगावत व शशि कांत शाह ने बताया कि लगभग 4000 से अधिक बच्चों, महिला व पुरुषों ने भाग लिया। सभी मंदिरों के बच्चों को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रकाश अखावत ने बताया कि इस वर्ष शताब्दी महोत्सव पर श्री शांति सागर महाराज के वैराग्य से संबंधित नाटिका केशव नगर के पाठशाला के बच्चों के द्वारा शानदार जानदार प्रस्तुति दी गई। समाज सेवी पारस सिंघवी ने पूज्य गुरुदेव के अनंत उपकारों को याद करते हुए शिविर सांगानेर से पधारे 40 विद्वानों की टीम का धन्यवाद ज्ञापित किया। सभी पधारे हुए अतिथियों को णमोकार मंत्र कॉपी और सुधा का सागर जिज्ञासा समाधान की पुस्तक निशुल्क प्रदान की गई।
सांगानेर के विद्वान प्रशांत ने बताया कि किस प्रकार से प्रतिदिन अभिषेक पूजन और स्वाध्याय की कक्षाओं के माध्यम से धर्म की प्रभावना हुई। चित्रकूट नगर बच्चों द्वारा नृत्य प्रस्तुति दी गई। सांत्वना पुरुस्कार जिनवाणी सजाओ के डॉ मुकेश कविता बडज़ात्या द्वारा और मुख्य पुरस्कार ज्योति, प्रकाश अखावत, चेतन, प्रकाश भोजन द्वारा प्रदान किय गया। कार्यक्रम में सांगानेर से आए विद्वानों का शिक्षण शिविर समिति के द्वारा उपरना व सम्मान पत्र देकर सम्मान किया। सभी शिविर स्थल मंदिरों के अध्यक्ष व मंत्री और संयोजक-संयोजिकाओ को धन्यवाद पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालक सम्राट शास्त्री ने किया। अंत में प्रकाश अखावत ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर दिनेश डवारा, श्याम एस सिंघवी, डॉ एसके लुहाडिय़ा, निर्मल मालवी, अशोक गंगवाल, खूबीलाल चित्तौड़ा, धनपाल जेतावत, राजेश बडज़ात्या, अशोक अग्रवाल, राजेश वैद्, रमेश वालावत, कैलाश गंगवाल, रमेश वैद्, राहुल बाकलिबाल, गौरव गनोडिय़ा, मदन गंगवाल, सुमितप्रकाश वालावत, श्याम जस्सीगोत, राजेंद् अखावत, दीपक भारती, भरत गांगावत, बसंतीलाल टाया, दिगम्बर जैन महिला महा समिति, प्रणीत चन्द्र शेखर, अनिल मेहता, जिनेन्द्र जैन, केतन गांगातव, विकास गदिया, अनिल वैध, नलिन वेद, हेमंत कोटडिय़ा, राजेश देवडा, राजेश गदावत, शांतिलाल, भेरूलाल, सुरेंद्र सोनी, अनुपम, विप्लव कुमार जैन, शांतिलाल जैन, महिला मंडलों से संपत गणपतोत, सुनीता वैध, ज्योति अखाटवत, अर्चना पटवारी, संगीता डवारा, सुशीला बडजात्या, बबिता संगावत, निराली कोटडिय़ा आदि का विशेष सहयोग रहा।