सहिष्णुता बढ़ाओ, दु:ख भारी नहीं लगेगा : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

सहिष्णुता बढ़ाओ, दु:ख भारी नहीं लगेगा : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा की निश्रा में पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के आयोजन धूमधाम से जारी है। जिसमें धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि की जा रही है।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि गुरुवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम आयोजित हो रहे है। आज छठें दिन आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर की निश्रा में पर्वाधिराज महापव्र पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। श्रावक-श्राविकाओं में परमात्म भक्ति का अनुपम नजारा दृष्टिगोत हो रहा है तो प्रवचन श्रवण में भी उतना ही उत्साह नजर आ रहा है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि गुरुवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने पर्यूषण महापर्व की विशेष विवेचना करते हुए बताया कि पर्वाधिराज महापव्र पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। मुझे प्रसन्नता है कि सर्वत्र जिनभक्ति-पूजन, जप, तप की लहर है। आज के कल्पसूत्र के प्रवचन में बताया कि तेईसवें तीर्थकर प्रभु पाश्र्वनाथ की लोकोत्तर महिमा तो विश्व विदित है। थोड़ा सा दु:ख आता है और हम विचलित हो जाते है इनका कारण है कि हमारे में सहिष्णुता की कमी है। सहिष्णुता बढ़ाना चाहिए तो दु:ख भारी नहीं होगा। उन्होने बताया कि जैन साधु वाहन विहारी नहीं होता, इलेक्ट्रीक से चलते वाहन में भी नहीं बैठते है। विहार सुरक्षा के लिए सावधानी बरतनी होगी। पैदल विहार में सुरक्षा ज्यादा है। प्रभु महावीर स्वामी के शासन में उनकी आज्ञा ही अहम होती है। उनका हरेक जैन को वहन करना चाहिए।

आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है। इस अवसर पर सभी श्रावक-श्राविकाओं का स्वामीवात्सल्य का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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