गमेर बाग धाम में 9 दिवसीय भव्य नवरात्रि पार्श्व पद्मावती महामंडल विधान 3 अक्टूबर से

उदयपुर, । सितम्बर। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुल्लक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के आयोजन की धूम जारी है।

जैन युवा परिषद उदयपुर युवा परिषद के अध्यक्ष रविश मुण्डलिया ने बताया कि गमेर बाग धाम में बालयोगी युवासंत मुनि श्रुतधरनन्दी महाराज ससंघ के सानिध्य में 9 दिवसीय भव्य नवरात्रि पार्श्व पद्मावती महामंडल विधान, पद्मावती माता की गोद भराई एव गरबा महोत्सव का आयोजन 3 अक्टूबर से किया जा रहा है। जिसमें सुबह 7 से 10 बजे तक श्री पार्श्व पद्मावती महामंडल विधान, दोपहर 2 से 4 बजे तज मां पद्मावती की गोद भराई, शाम 6.30 से 8 बजे तक आनंदयात्रा/आरती तथा रात्री 8 बजे से जैन डांडिया महोत्सव-2024 का आयोजन होगा।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने बताया मंगलवार को बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने गमेर बाग धाम में बिराजित मूलनायक भगवान की नित्य नियम पूजा-अर्चना की। उसके बाद पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा की। वहीं कई श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ से आशीर्वाद लिया। चातुर्मास समिति के भंवरलाल गदावत ने बताया कि मुनिश्री का पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्जवलन, धर्मसभा के पूर्व शंतिधारा, अभिषेक, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन जैसे मांगलिक आयोजन हुए। शाम को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ की आरती की।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत व चातुर्मास समिति के विजयलाल वेलावत व हेमेन्द्र वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने कहा कि जब घर के अंदर हराने वाले मौजूद हो तो बाहर जीतना बहुत कठिन है। आत्मकल्याण का लक्ष्य हासिल करने के लिए संघाईयां व संगठिया के पाप रूपी विराधना से बचने का संकल्प करना चाहिए। पुरानी बातों के कचरे को दिमाग में भरकर न रखे जो भावों को खराब करती है। ऐसा करके हम स्वयं के कर्मो का बोझ भारी बनाते है। ये ऐसा बोझ है जिसमें दिखता कुछ नहीं है लेकिन सिर भारी होता है। जीवन में असाता वेदनीय कर्म का उदय हमारी सुख शांति छीन लेता है। ऐसे कारण सामने आते रहते है जो हमारे रोने का सबब बन जाते है। हमे जख्म देने वाला नहीं बनकर जख्म भरने वाला बनना है। जख्म देने वाला बनने पर जीवन में कई तरह की विराधनाएं होती है। हमारे कारण किसी को जख्म नहीं होने चाहिए। भाई गाली नहीं देता लेकिन कषाय की अग्नि जलती ऐसे समय में एक भाई घी बन जाए तो जो जला वह ठीक हो जाएगा। हम जख्म भरने वाला बन विराधनाओं से बच सकते है।

इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, लक्ष्मी देवड़ा, सीता देवड़ा, जयश्री देवड़ा, अल्का भदावत, लक्ष्मी सिंघवी, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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