135 वर्षीतप के तपस्वियों का किया तप अभिनंदन

135 वर्षीतप के तपस्वियों का किया तप अभिनंदन
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- श्री मेवाड़ मूर्तिपूजक महिला ग्रुप का तप अनुमोदना समारोह सम्पन्न - 68 उपवास करने वाली आशा बाबेल का हुआ विशेष अभिनंदन

उदयपुर । श्री मेवाड़ मूर्तिपूजक महिला ग्रुप की और से जैन श्वेतांबर आयड तीर्थ में तप अनुमोदना समारोह आयोजित हुआ। श्री मेवाड़ मूर्तिपूजक महिला ग्रुप की अध्यक्ष विजयलक्ष्मी गलुंडिया ने बताया कि आचार्य भगवंत पद्म भूषण सूरीश्वर महाराज, आचार्य भगवंत निपुनरत्न सूरीश्वर महाराज, ऋषभ सूरीश्वर महाराज की प्रेरणा से परम पूजनीय कीर्तिरेखा श्रीजी, भक्ति रेखा, मयुख रेखा, गंभीर रेखा, दर्श रेखा श्रीजी एवम समुदाय वर्तिनी सभी साधविजी महाराज के सानिध्य एवम मार्गदर्शन में तप अनुमोदना समारोह आयोजित हुआ जिसमे वर्षीतप करने वाले 135 तपस्वियों का बहुमान किया गया साथ ही लगातार 68 उपवास, श्रेणिक तप, सिद्धि तप एवम आजीवन तप आराधना में रहने वाली आशा बाबेल एवम लगातार 14 वा वर्षीतप करने वाली लाडज़ी बाई सुराना का विशेष अभिनंदन किया गया।

संरक्षिका साधना बाबेल ने बताया कि वर्षीतप में 400 दिन तक एक दिन निराहार रहकर उपवास एवम एक दिन सिर्फ 2 वक्त भोजन करना होता है साथ ही दोनो वक्त सुबह एवम शाम प्रतिक्रमण, देव दर्शन, देव पूजा एवम धर्म आराधना करनी होती है और 400 दिन पश्चात अक्षय तृतीया के दिन से इक्षु रस से पारणा होता है। कार्यक्रम का शुभारंभ अनुसूया जैन एवम ग्रुप द्वारा मंगलाचरण से हुआ । अध्यक्ष विजयलक्ष्मी गलुंडिया ने शब्दों द्वारा सबका स्वागत किया, तत्पश्चात मंजू नलवाया एवं ग्रुप द्वारा तपस्या की एवं चौबीसी गीत का कार्यक्रम आयोजित हुआ ।

सचिव मधु मारू ने बताया कि सभी तपसियों को "मोती वेराना चौक मां आव्या तपस्वी" एवम अनुमोदना बारंबार द्वारा बधाया एवम फिर बहुमान किया गया। रश्मि नलवाया एवं ग्रुप ने तपस्या नृत्य द्वारा तपस्या की अनुमोदना की साथ ही वॉकी टॉकी द्वारा तप का महत्व, तप की क्रिया और तप के बारे में दर्शकों को जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि कुलदीप नाहर, अनीश कोठारी, गजेंद्र मेहता, अनिल भंडारी, नरेंद्र सेठिया, शक्ति चपलोत, प्रमिला करणपुरिया अभिषेक भाई, प्रमिला पोरवाल, रवि मोर्डिया थे। सचिन मधु मारू ने धन्यवाद ज्ञापित किया, कार्यक्रम का संचालन चंद्रकला पोखरना एवं मनीष लोढ़ा ने किया ।कार्यक्रम संयोजिका हर्षिता पगारिया और सुप्रिया राठौड़ थी।

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