पौष्टिक अनाज योजनान्तर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

पौष्टिक अनाज योजनान्तर्गत एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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उदयपुर,। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) पौष्टिक अनाज योजनांतर्गत एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय सभागार में हुआ। कृषि विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में जिले के दूर दराज गांवों के किसानों ने भागीदारी की। कार्यशाला में गिर्वा, बड़गांव के अनुसूचित जनजाति कृषकों के अलावा एफ.पी.ओ. व स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक अनुसंधान डॉ. अरविन्द वर्मा ने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन में हमारा देश आत्मनिर्भर है। अब पौष्टिकता से भरपूर भोजन हमारी थाली में शुमार करने का लक्ष्य है। इसके लिए मिलेट्स यानी अन्न जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कांगणी, कोदो, सांवा, चीना व कुटकी के विभिन्न व्यंजन बनाकर परिवार को अवश्य खिलाएं। उन्होंनें सलाह दी कि हमारे पुरखे श्रीअन्न का भरपूर इस्तेमाल करते थे और हमेशा स्वस्थ रहते थे। हर किसान को उपलब्ध जमीन के 10 से 20 प्रतिशत भूभाग अन्न उगाने चाहिए व सभी को अन्न को भोजन में शामिल करना चाहिए।

आरसीए की आचार्य एवं आनुवंशिकी एवं पादप परिजन5 विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता शर्मा ने अन्न की खेती के तौर तरीकों पर प्रकाश डालते हुए किसानों को आश्वस्त किया कि जो भी किसान मिलेट्स की खेती करना चाहता हैं, विभाग के माध्यम से मांग करने पर उन्हें बीजों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। कृषि विभाग के उदयपुर संभाग अतिरिक्त निदेशक निरंजन सिंह राठौड़ ने बाजरा और इससे बनने वाले व्यंजनो की जानकारी देते हुए कहा कि बदलते दौर में युवा पीढ़ी को मिलेट्स के फायदे न केवल बताने होगे बल्कि उन्हें एक समय आवश्यक रूप से इसे खिलाना चाहिए।

आचार्य खाद्य एवं पोषण विभाग सीसीएएस डॉ. सरला लखावत ने मिलेट्स से बनने वाले विविध व्यंजन जैसे रोटी, खिचड़ी, पुलाव, इडली, डोसा, उपमा, पोहे, ब्रेड, बेकरी आदि के बारे में बताते हुए इस क्षेत्र में स्वरोजगार की भी विपुल संभावनाएं बताई। उन्होंने कहा कि गांवों में महिला स्वयं सहायता समूह मिलेट्स के विविध व्यंजन तैयार कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकती है। मिलेट्स के व्यंजन बनाने के इच्छुक ग्रामीण उनके यहां प्रशिक्षण भी ले सकते हैं।

कार्यशाला में पौध व्याधि विभाग के डॉ. पोखर रावल एवं आर.सी.ए. के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. आर. स्वामीनाथन ने मिलेट्स फसलों में लगने वाले प्रमुख कीट व्याधि व उपचार एवं मित्र कीटों की उपादेयता के बारे में विस्तृत जानकारी दी। पूर्व उपनिदेशक कृषि गोपाल शर्मा ने कहा कि आज हर आदमी अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत है। पौष्टिकता से भरपूर मिलेट्स मोटापा नियंत्रण, दिल के स्वास्थ्य, मधुमेह प्रबंधन, कैंसर प्रतिरोधकता जैसी क्षमता रखते हैं। किसान मिलेट्स को अपने भोजन में जरूर शामिल करें और आने वाली पीढ़ी को भी इसके लाभ के बारे में बताएं। इससे पूर्व संयुक्त निदेशक सुधीर कुमार वर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। संचालन महेश व्यास ने किया।

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