विश्व में सबसे पहली धर्मस्थापना ऋषभदेव प्रभु ने की : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर,। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा की निश्रा में पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के आयोजन धूमधाम से जारी है। जिसमें धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि की जा रही है।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को संवत्सरी महापर्व पर आखरी दिन बारसा सूत्र वाचन व सामूहिक क्षमायाचना का आयोजन होगा। जिसमें वर्षभर में जाने-अंजाने में हुर्ह गलतियों पर क्षमायाचना मांगी जाएगी। कल्प सूत्र सुनने के लिए सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन आ रहे है वही पर्युषण के अंतिम दिन 7 सितम्बर को संवत्सरी महापर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह 9 बजे बारसा सूत्र का वाचन होगा। शाम को 4 बजे प्रतिक्रमण होगा। उसके बाद सभी श्रावक-श्राविकाओं का सामूहिक क्षमायाचना पर्व का आयोजन होगा।
शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम आयोजित हो रहे है। आज सातवें दिन आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर की निश्रा में पर्वाधिराज महापव्र पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। श्रावक-श्राविकाओं में परमात्म भक्ति का अनुपम नजारा दृष्टिगोत हो रहा है तो प्रवचन श्रवण में भी उतना ही उत्साह नजर आ रहा है।
चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने कहां कि इस विश्व में सबसे प्रथम राजा भी जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव बने, सर्वप्रथम साधु भी वहीं बने और सबसे पहली धर्मस्थापना भी उन्हीं भगवंत ने की। अत: जैन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। जिन शासन किसी से झगडऩे का तो नहीं सिखाता मगर निष्पक्षता से सत्य को ढूंढकर उन्हीं को अपनाने का जरूर सीखता है। आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है। इस अवसर पर सभी श्रावक-श्राविकाओं का स्वामीवात्सल्य का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।