आयड़ तीर्थ मेंं सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा रविवार को

आयड़ तीर्थ मेंं सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा रविवार को
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उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उन्होनें बताया कि 22 सितम्बर को आयड़ तीर्थ पर गीत-संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा का आयोजन होगा।

इस अवसर पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन कहां कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने कहा कि जिसका जन्म हुआ है, उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है। प्राप्त जीवन को पूर्ण करके यहां से जाना तय है। जीवन प्राप्त होने के बाद महत्त्व पूर्ण यह नहीं है कि हम कितना जीते हैं, महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे जीते हैं? अगर हमारे जीवन से जगत को संतोष है, तो ही हमारे जीवन की कीमत है, बाकी तो पृथ्वीतल पर जन्में तो क्या? और नहीं जन्में तो क्या ? यह जीवन अगर इस जगत के लिए संतोष प्रद बने तब ही इस जीवन की कीमत है।

विश्व के तमाम प्राणी सुख चैन से जी सके इसके लिए आप और हम मेहनत कर रहे है, प्रयत्न कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि आप शरीर के लिए मेहनत कर रहे है और हम आत्मा के लिए। आप शरीर को निरोगी बनाने के लिए प्रयास रत है और हमारा प्रयास आत्मा को निरोगी बनाने का है। आत्मा का आरोग्य प्राप्त किए बिना कोई व्यक्ति सुखी हो सके यह संभव नहीं है। आत्मा का आरोग्य प्राप्त कर जन-जन का नहीं अपितु पूरे विश्व का भला करने का प्रयास करना चाहिए।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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