ईमानदारी की भावना का हो विकास : आचार्य महाश्रमण

ईमानदारी की भावना का हो विकास : आचार्य महाश्रमण
X

उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण ने अपनी धवल वाहिनी के साथ त्याग और बलिदान की धरा मेवाड़ की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए है। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 17 नवम्बर को प्रात: खजुरी से विहार कर बिछीवाड़ा पधारे। आचार्य महाश्रमण का आज का प्रात:कालीन प्रवास बिछीवाड़ा में हुआ। सांयकाल को आचार्य महाश्रमण पुन: विहार कर बिरोठी पधारे।

आचार्य महाश्रमण का अपनी धवल वाहिनी के साथ अगला पड़ाव 18 नवम्बर को शिशोद में होगा। जैसे जैसे आचार्य महाश्रमण मेवाड़ की और पधार रहे हैं वैसे वैसे मेवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों के श्रावक श्राविकाओं का दर्शन हेतु आना लगा हुआ है। मेवाड़ कांफ्रेंस की और से आचार्य महाश्रमण का संपूर्ण मेवाड़ स्तरीय स्वागत समारोह आगामी 20 नवंबर को जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की पुण्य धरा केसरियाजी में आयोजित किया जाएगा। आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद उपस्थित जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि जिस तरह पत्थर को तराश कर मूर्ति का आकार दिया जाता है उसी तरह व्यक्ति के भीतर ही केवलज्ञान विद्यमान है बस जरूरत उसे तराश कर बाहर लाने की। कर्मों का बंधन व्यक्ति की मन, वचन और शरीर की प्रवृत्ति द्वारा होता है।ये कर्म व्यक्ति की आत्मा को मलिन करते है। धर्म, समता, साधना रूपी साबुन से इस मलीनता को धोया जा सकता है। ईमानदारी एक सर्वोत्तम नीति होती है। जो आदमी ईमानदारी रखता है, उसके प्रति इज्जत का भाव स्वत: ही आ जाता है और उसके प्रति विश्वास के भाव का विकास भी हो जाता है। ईमानदारी आदमी से मानों अभयता भी प्राप्त हो जाती है। दूसरे की चीजों को उठाने से अथवा जिस पर अपना कोई अधिकार नहीं, उसे छलपूर्वक चुरा लेने से पाप कर्म का ही बंध होता है। आदमी को अपने जीवन में नैतिकता, प्रमाणिकता व सच्चाई के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। ईमानदारी की भावना बहुत बड़ी बात होती है। आदमी का दृष्टिकोण ईमानदारी के प्रति रखने का प्रयास करना चाहिए। ईमानदारी सभी के लिए आवश्यक है। ईमानदारी एक पवित्र चीज है। आदमी बेईमानी से बचे और ईमानदारी का पालन करे, यह काम्य है। आज के कार्यक्रम में विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय बिछीवाड़ा के अध्यक्ष महंत महेंद्र सिंह, प्रिंसिपल हरीश शर्मा, होली फेथ स्कूल प्रिंसिपल हितेश भाटिया, दिगम्बर जैन संघ बिछिवाड़ा से बाबूलाल जैन, धनराज जैन का साहित्य समर्पण , उपरना और स्मृति चिन्ह से अभिनंदन किया गया। अंत में उपस्थित जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।

मार्ग सेवा में किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, भूपेंद्र चोरडिय़ा, बलवंत रांका, महावीर मेडतवाल, ज्ञान बडोला, विनोद मांडोत, प्रवीण हिरण, आजाद सिंघवी, विनोद सिंघवी, मनीष बाफना, सुनील मुनोत, जय चौधरी, मुकेश मेहता, प्रकाश मेहता,पदम सिंह मेहता, नरेंद्र लोढ़ा, जीवन सिंह सोनी, वैभव चौधरी, अक्षत पोरवाल आदि आचार्य महाश्रमण की मार्ग सेवा में सहभागी रहे।


Next Story