भागवत कथा में कृष्ण लीला सुन झूम उठे भक्त, हुए भाव विभौर

उदयपुर,। झीलों की नगरी के बेदला रोड, शुभ सुंदर टावर,साइफन चौराहा,पेट्रोल पंप के पास में पुष्कर दास महाराज के द्वारा चल रही संगीतमय भागवत कथा के पांचवे दिन कहा जो गुणों का अर्जन करे वही अर्जुन। निकट में धारा बहती हे पर कोई अवगुण नहीं कर सकता द्य कथा हमारे स्वभाव को सुधारने के लिए है। कथा हमारा निज दर्शन, करने के लिए है। सत्कर्म शुद्धता से करना चाहिए, बिना दुख के कृष्ण का जन्म नहीं होता। दुख होता है तभी सुख आता है। आगे कन्याओं के बारे में कहा केरियर के चक्कर में अपनी मान मर्यादाओं को नहीं छोडऩा चाहिए । संत ओर सत्संग मिल जाए मानो परमात्मा मिल गया। परमात्मा आनंद स्वरूप है, इसलिए कथा में आनंद आता है तो स्वयं परमात्मा आते है। परमात्मा भाव को देखते है, नंद का मतलब जो दूसरों को आनंद दे । यशोदा का मतलब काम खुद करे और यश दूसरों को देवे, आगे कहा नंदबाबा के घर जब परमानंद आया तो उन्होंने सब कुछ लुटाया। क्यों की उनके घर सच्चिदानंद स्वरूप खुद ईश्वर ने जन्म लिया । परमात्मा आनंद स्वरूप है। हमारे घट में भी आनंद स्वरूप ईश्वर का जन्म होना चाहिए। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा यशोदा मैया ने महंगे हार, हीरे मोती लुटाए क्यों कि ईश्वर के सामने ये इनकी कोई कीमत नहीं है। आगे पूतना के वध का वर्णन किया, शकटासुर को बालक कृष्ण ने मारा। कृष्ण ने गोपियों के कोमल मन रूपी मक्खन को चुराया है दूध के मक्खन को नहीं । कृष्ण ने मटकिया फोड़ी थी जिस जीवात्मा के सिर पर अहंकार रूपी पाप की मटकी फोड़ी थी। चीरहरण लीला में साड़ी, कपड़े का चीर नहीं बल्कि वासना का चीर हरण किया। महाराज ने गोवर्धन की व्याख्या करते हुए कहा गो का मतलब इंद्रियां वर्धन का मतलब बढ़ना । इसी तरह हमारी श्रद्धा दिनों दिन बढ़े वही "गोवर्धन लीला" है। सभी भक्तों ने सामूहिक भगवान गिरिराज धरण को 56 भोग धारण करवाया। महिलाओं ने हाथ खड़े करके गिरिराज धरण के जयकारे लगाए द्य अंत में सभी भक्तों ने सामूहिक आरती की। गुरुवार को कथा में रुक्मणि विवाह के प्रसंग का वर्णन किया जाएगा ।