धर्मक्षेत्र संसार के नियम या पर्सनल विचार के अनुसार नहीं चलता : साध्वी जयदर्शिता

धर्मक्षेत्र संसार के नियम या पर्सनल विचार के अनुसार नहीं चलता : साध्वी जयदर्शिता
X

उदयपुर, । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्मयोगी आचार्य श्रीमद विजय कला पूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सुरीश्वर महाराज के आज्ञावर्तिनी वात्सलयवारिधि जीतप्रज्ञा महाराज की शिष्या गुरुअंतेवासिनी, कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।

नाहर ने बताया कि रविवार को जैन धर्म पर आधारित क्रिकेट प्रश्नावली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें अलग-अलग टीमों ने प्रश्नोत्तरी के जवाब के हिसाब से प्रतियोगिता जीती। प्रतियोगिता जितने वालो में सुदेर्शन टीम विजेता उपविजेता तेज टीम तथा तृतीय स्थान पर सुभद्रा टीम विजेता रही। विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में शनिवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने प्रवचन में बताया कि हमारे जीवन में हमारे आचरण एवं भावना द्वारा हम पुण्य की वृद्धि भी कर सकते है, पाप की वृद्धि भी कर सकते है और धर्म की वृद्धि भी कर सकते है मगर तीन में से हमे धर्म की वृद्धि ही करनी चाहिए क्योकि इससे आत्मा की फ्यूचर शुद्ध एवं प्रसन्न बनती है। धर्मक्षेत्र धर्म के सिद्धांत अनुसार चलता है। धर्मक्षेत्र संसार के नियम या पर्सनल विचार के अनुसार नहीं चलता ।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

Tags

Next Story