संघर्ष की पगडंडीयों से शिखर तक पहुँचे भानसोल के डॉ. मेघवाल

उदयपुर, । उदयपुर जिले के राजकीय बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय में कार्यरत मावली उपखण्ड के भानसोल निवासी डॉ. राजेन्द्र मेघवाल को 22 दिसम्बर 2025 को माननीय राज्यपाल श्री हरिभाऊ किशनराव बागड़े द्वारा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षांत समारोह के डॉक्टर ऑफ फिलोसॉफी की उपाधि से सम्मानित किया।
डॉ. राजेन्द्र मेघवाल ने अपने शोधकार्य ‘’राजस्थान में पशुधन प्रशासन का एक अनुभवमूलक अध्ययन (राजस्थान की कृत्रिम गभा्रधान की नीति के संदर्भ में)‘’ विषय पर प्रो. सी.आर. सुथार (सेवानिवृत अधिष्ठाता, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय) के निर्देशन में पुरा किया। शोध का मूल उद्देश्य पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के परिणामों को बढ़ाकर पशुपालन को एक उद्योग के रूप में स्थापित करना है और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाकर राज्य भी सकल घरेलु उत्पादन (ैळक्च्) में वृद्धि के साथ-साथ भारत सरकार के ‘विकसित भारत 2047’ जैसे लक्ष्य को अर्जित करने में महत्वपूर्ण योगदान होगा। डॉ. राजेन्द्र मेघवाल का जीवन बहुत संघर्षमय रहा है। सन् 2006 में डॉ. मेघवाल के सिर से पिता का हाथ हठ गया। उस समय 11वी कक्षा में पढ़ते थें परिवार में चार भाई-बहन में सबसे बड़े होने के कारण परिवार की समस्त जिम्मेदारी डॉ. मेघवाल के कन्धों पर आ गई। फिर भी डॉ. मेघवाल ने हार नहीं मानी। खुद दिहाड़ी मजदुरी करके अपनी पढाई को निरन्तर जारी रखा। 2008 में डॉ. मेघवाल का राजस्थान पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर में पशुचिकित्सा प्रशिक्षण हेतु चयन हो गया। डॉ. मेघवाल की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण प्रशिक्षण के दौरान जयपुर में रात्रिकालीन चौकीदारी का कार्य करके अपनी पढ़ाई जारी रखी। प्रशिक्षण में पश्चात प्रथम प्रयास में ही 2012 में पशुपालन विभाग राजस्थान सरकार में पशुधन निरीक्षक के पद पर चयन हो गया। सरकारी नौकरी के चयन के बाद भी डॉ. मेघवाल ने अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखते हुए 2025 में एक बड़े शोध कार्य को अंतिम अंजाम देकर राज्यपाल महोदय द्वारा पीएच.डी. की उपाधि से सुशोभित हुए। डॉ. मेघवाल ने अपनी सफलता का श्रेय दादी जी स्व. श्रीमती मोडी बाई, पिता स्व. श्री रूपलाल जी और अपने मासाजी स्व. श्री भीमराज जी मेघवाल (कुँचोली), माता श्रीमति लोगरी बाई और धर्मपत्नी एडवोकेट कंकु मेघवाल को दिया। इस अवसर पर पशुपालन विभाग के सेवानिवृत अतिरिक्त निदेशक, डॉ. शरद अरोड़ा, जिले के संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेश जैन और अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों ने माला पहनाकर स्वागत किया और डॉ. मेघवाल को आगे भी ऐसे शोधकार्य के लिए प्रोत्साहित किया। जिसे राज्य में पशुधन का कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा नस्ल सुधारकर राज्य में पशुपालन को एक उद्योग के रूप में स्थापित किया जा सके।
