चातुर्मासिक दिव्य मंगल कलश स्थापना आज

उदयपुर, । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में चातुर्मास प्रवास पर विराजित राष्ट्रसंत पुलक सागर महाराज का चातुर्मास धूमधाम से सम्पादित हो रहा है। आयोजन की श्रृंखला में शनिवार को टाउन हॉल स्थित नगर निगम प्रांगण में गुरु गुणगान महोत्सव का आयोजन किया गया।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि शनिवार को ‘गुरु गुणगान महोत्सव’ का भव्य आयोजन आचार्य पुलक सागर महाराज की पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ। उदयपुर में आध्यात्मिक चेतना का अद्भुत संगम उस समय देखने को मिला जब आचार्य श्री पुलक सागर महाराज के सान्निध्य में ‘गुरु गुणगान महोत्सव’ का दिव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा थी जिसमें श्रद्धा, समर्पण और संस्कारों का अद्भुत समावेश देखने को मिला। जहां केसरिया वस्त्रों में श्रावक-श्राविकाएं 12 बजे से ही बड़ी संख्या में नगर निगम परिसर में उपस्थित होने लगे थे। जैसे ही आचार्य श्री ने मंच पर पदार्पण किया, पूरा परिसर "जय गुरुदेव" के जयकारों एवं उद्घोष से गूंज उठा और श्रद्धालुओं की आंखों में भावविभोर कर देने वाली चमक दिखाई दी। इस कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर गुरु भक्ति से वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया। यह आयोजन आचार्य श्री के चातुर्मास प्रवास के अंतर्गत रखा गया है, जिसमें प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं।
इस अवसर पर आचार्य पुलक सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि गुरु गुणगान महोत्सव पर राष्ट्रसंत आचार्य पुलकसागर ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु से जुडक़र यदि आत्मा को परमात्मा बनाने का प्रयास नहीं किया तो जीवन व्यर्थ है, ऐसे गुरु बनाने से जीवन का कोई मतलब नहीं होता है । विकट परिस्थिति में संकट के क्षणों में भगवान दौड़े दौड़े चले नहीं आते है, गुरु दौड़े चले आते है, भगवान का अदृश्य आशीर्वाद भक्तों पर होता है लेकिन गुरु का तो साक्षात् आशीर्वाद भक्तों के लिए होता है ।इसलिए गुरुपूर्णिमा पर मैं आपको आशीर्वाद प्रदान करता हूं । जिस दिन तुम अपने अंदर की आत्मा को देख लोगे तो तुम परमात्मा को जान लोगे ।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने बताया कि सर्वप्रथम गुरुदेव की महाआरती नृत्य के साथ पुलकमंच जिनशरणं के पुरुष सदस्यों द्वारा की गई । चातुर्मास समिति के अध्यक्ष एवं पुलक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद फांदोत परिवार की तरफ से स्वागत नृत्य प्रस्तुति दी गई एवं आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन किया गया । राष्ट्रसंत के संघपति प्रदीप मामा प्रतिभा मामी, चातुर्मास मुख्य पुण्यार्जक दिनेश खोड़निया, जिनशरणं तीर्थ के ट्रस्टी निर्मल गोधा, नीलकमल अजमेरा, सोमेश वाणावत, सुरेश कोठारी, अजीत विनायक्या सोनम विनायक्या, राजेश गंगवाल, मीना झांझरी, कुशलचंद ठोल्या, विक्की रौनक एवं सीमा फांदोत ने बारहभावना प्रस्तुत की । कार्यक्रम में सम्पूर्ण भारत से आचार्यश्री के भक्तजन उपस्थित रहे, जिनमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार से थे । आचार्यश्री को शास्त्र भेंट बीना टोंग्या, महेंद्र निगोत्या, अशोक गंगवाल, डॉ. ऋचा जैन, प्रदीप पांड्या, आदिश खोड़निया, राजेश फांदोत एवं संदीप त्रिशला डागरिया परिवार ने किया । गुरुपूजा के पुण्यार्जक सुनील अंजना गंगवाल, सुरेश भंडारी, सुनील संगीता, अंशुल हर्षिता अजमेरा, जिकिशा, अर्चिस, हृदय फांदोत, शांतिलाल भोजन, शांतिलाल मनोत, खूबचंद प्रकाश सिंघवी, पारस सिंघवी, अनामिका बाकलीवाल आदि ने किया ।
चातुमार्स समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी ने बताया कि महोत्सव की शुरुआत विशेष भजनों, गुरुवंदना और आचार्य श्री को श्रीफल अर्पण के साथ हुई। श्रद्धालुओं ने गुरु के प्रति अपनी भावनाओं को गीतों व विचारों के माध्यम से व्यक्त किया। आचार्य पुलक सागर महाराज का यह चातुर्मास आयोजन ना केवल जैन समाज बल्कि पूरे उदयपुरवासियों के लिए आध्यात्मिक जागरण का माध्यम बन रहा है। गुरु गुणगान महोत्सव ने यह सिद्ध कर दिया कि जब गुरु का मार्गदर्शन और समाज का समर्पण एक साथ होता है, तो हर आयोजन धर्मोत्सव बन जाता है। आचार्य श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए समाज को धर्म, संयम और नैतिक जीवनशैली अपनाने का संदेश दिया। आचार्य श्री की वाणी ने समस्त श्रद्धालुओं को आत्म चिंतन और आत्म कल्याण की प्रेरणा दी।
मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि महोत्सव के अंत में सामूहिक आरती एवं आचार्य श्री का पादप्रक्षालन कर समर्पण भाव से गुरु पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने यह अनुभव किया कि यह महोत्सव केवल भावनात्मक नहीं बल्कि आत्मिक रूप से परिवर्तनकारी था। उदयपुरवासियों के लिए यह आयोजन आध्यात्मिक नवचेतना का एक दुर्लभ अवसर बना, जिसमें गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते को गहराई से समझने और अपनाने का मार्ग मिला। कार्यक्रम में चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों व बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। समिति ने समर्पण भाव से सभी व्यवस्थाएँ संभालीं, जिससे आयोजन सफल व प्रभावशाली बना। आयोजन में उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।
उपहार में दिए भक्तों को गुरुदेव के चरण
पांडाल में उपस्थित लगभग 2100 भक्तों को गुरुदेव के चरण उपहार स्वरूप प्रदान किए । साथ ही चातुर्मास पुण्यार्जक एवं जिनशरणम् तीर्थ के ट्रस्टी सदस्यों को गुरुदेव के वास्तविक कैनवास पर अपने पैरों से प्रिंट चरण प्रदान किए गए एवं उस चरण को पूजा विधि से पवित्र किया गया । यह सभी भक्तों के लिए गुरुपूर्णिमा पर विशेष आशीर्वाद था ।
- दिव्य मंगल कलश स्थापना आज
चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि रविवार 13 जुलाई को दोपहर 2 बजे टाउन हॉल में चातुर्मास के मंगल कलश की स्थापना होगी। जिसके लिए टाउन हॉल में विशेष व्यवस्था की गई है।
- ज्ञान गंगा महोत्सव 20 जुलाई से 15 अगस्त तक
मुख्य संयोजक अशोक शाह एवं गौरवाध्यक्ष शांतिलाल मनोत ने संयुक्त रूप से बताया कि चातुर्मास श्रृंखला में पहला कार्यक्रम ज्ञान गंगा महोत्सव 20 जुलाई से 15 अगस्त तक आयोजित होगा । जिसमें 26 दिनों तक सर्वधर्म के धर्मावलम्बियों के लिए विशेष प्रवचन श्रृंखला आयोजित होगी। ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतर्गत 31 जुलाई को मोक्ष सप्तमी, 9 अगस्त को रक्षाबंधन एवं 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन होंगे । ज्ञान गंगा महोत्सव में राष्ट्र संत पुलक सागर महाराज के विशेष प्रवचन होंगे।