मन में वैराग्य की भावना हो तो भी मोक्ष संभव है- आचार्य महाश्रमण

मन में वैराग्य की भावना हो तो भी मोक्ष संभव है- आचार्य महाश्रमण
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उदयपुर,तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी के साथ लम्बे-लम्बे डग भरते हुए मेवाड़ की ओर अपने चरण बढ़ा रहे है। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण 10 नवम्बर को प्रात: अवर ऑन हाइ स्कूल प्रांतीज से लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर तेरापंथ भवन सलाल पहुंचे। आचार्य महाश्रमण के विहार के दौरान मार्ग में जगह- जगह ग्रामीणों और श्रावक-श्राविकाओं द्वारा अभिवादन किया गया। आचार्य महाश्रमण ने ग्रामीणों का नशामुक्ति की प्रेरणा दी।

आचार्य महाश्रमण का अपनी धवल वाहिनी के साथ अगला पड़ाव 11 नवम्बर को हिम्मतनगर में होगा।

आचार्य महाश्रमण ने उपस्थित जन समुदाय और सलाल समाज को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि मन में वैराग्य की भावना हो तो गृहस्थ व्यक्ति भी मोक्ष प्राप्त कर सकता है। धर्म करने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं होता है। अधर्म करने वाला ही हमेशा दुखी होता है। संवर और निर्जरा अगर साथ रहेंगे तो व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति का पुण्य पाप अपना अपना होता है। हिंसात्मक प्रवृत्ति दुख का मुख्य कारण है। मन, वाणी और शरीर तीनों साधना में लग जाना चाहिए। सृष्टि का अपना नियम है कि कोई भी सांसारिक प्राणी यहां स्थाई नहीं है। जिसने भी जन्म लिया है उसका जाना निश्चित है। मृत्यु से किसी को छुटकारा नहीं मिल सकता है। जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाए अर्थात मोक्ष की प्राप्ति हो जाए ऐसी कामना व्यक्ति को करनी चाहिए। शरीर तो बीमार , वृद्ध हो सकता है लेकिन आत्मा अमर और शाश्वत है। आत्मा को मोक्ष प्राप्ति हो सके उसके लिए व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए।

भगवान महावीर और आचार्य भिक्षु का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा दायक है। उनके बताए सदमार्ग और सद्विचारों को अपनाने का प्रयास होना चाहिए।

यह वर्ष कई मायनों में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वर्ष तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु का 300 वा जन्म शताब्दी वर्ष है जीवन में साधुत्व आना बहुत ही गौरव का क्षण है। गृहस्थ व्यक्ति साधु बन पाए या नहीं वह जरूरी नहीं है लेकिन अच्छा इंसान बन जाए वह जरूरी है।

इस अवसर पर साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा ने अपनी बात में कहा कि जिन व्यक्तियों को महापुरुषों की सन्निधि मिलती है उन्हें पापकारी प्रवृत्तियो से बचने का मार्ग प्राप्त हो सकता है। महापुरुषों के आभामंडल से मानव मात्र का कल्याण संभव है।

इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा सलाल के अध्यक्ष प्रकाश भंडारी द्वारा शब्दों द्वारा स्वागत, महिला मंडल सलाल द्वारा गीत की प्रस्तुति,

ज्ञानशाला सलाल के बच्चों द्वारा प्रस्तुति, प्रियंका चोरड़िया और प्रकाश चोरड़िया द्वारा अपनी भाव्यव्यक्ति प्रस्तुत की गई।

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