क्षमा गुणों का राजा है : साध्वी जयदर्शिता

उदयपुर । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में कलापूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता , जिनरसा , जिनदर्शिता व जिनमुद्रा महाराज आदि ठाणा की निश्रा में पांच दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान के दूसरे दिन चौबीसी का कार्यक्रम का आयोजन विधि विधान के साथ हुआ।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में शनिवार को चौबीसी का कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें कई श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। महिला मण्डल की सदस्याओं ने सभी साध्वियों को कामली ओढ़ाई गई। भक्ति गीतों के साथ पूजा अर्चना सम्पन्न की। उसके बाद ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। नाहर ने बताया कि 9 नवम्बर को नवकार मंत्र के अनुष्ठान, 10 नवंबर को आदिनाथ पंच कल्याणक पूजा एवं 11 नवम्बर को प्रात: 6 बजे रायण पगलिये की प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठा पश्चात नवकारसी का आयोजन होगा।
शनिवार को धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता ने कहा कि क्षमा गुणों का राजा है। अन्य अनेक गुण प्रजा की भांति क्षमा के आगे-पीछे स्वत: आ जाते हैं। अन्य गुणों का प्रतिनिधित्व करता है-क्षमा का गुण। क्षमा गुण के जीवन में अवतरित होते ही व्यवहार, वचन, विचार सब कुछ बदल जाता है। क्षमावान के व्यवहार में उच्चता सभ्यता होती है। व्यवहार में तुच्छता निम्नता नहीं होती। जरा सी कोई ऊंची-नीची बात हो जाए तो चिढ़ना, झुंझलाना, छोटी सी वस्तु के लिए लड़ पडऩा, अपना-पराया का भाव रखना ये सब कुछ तुच्छ और निम्न श्रेणी का व्यवहार होता है जो मानव के जीवन को निम्न स्तर का बना देता है। ये सारे कषाय जन्य परिणाम हैं, जिससे निम्न एवं तुच्छ मनोवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। क्षमावान का व्यवहार उच्च कोटि का होता है। वचनों में सत्यता होती है और विचारों में सकारात्मकता आ जाती है। क्षमा एक ऐसा अलौकिक गुण है जो प्रकट हो जाए तो अन्य अनेक गुण उसकी परिक्रमा में आने लग जाते हैं।
