आयड़ तीर्थ में चातुर्मासिक विदाई समारोह का आयोजन

उदयपुर,। चार माह के सफलतम चातुर्मास में विदाई की बेला की नजदीक आने पर श्रावक-श्राविकाओं के मन के जज्बात गीतों व विचारों के माध्यम से सामने आए। साध्वी जयदर्शिता संघ से चातुर्मास समाप्ति के बाद भी आशीर्वाद बनाए रखने और जल्द फिर उदयपुर की धरा को पावन करने की विनती की गई। चातुर्मास में साध्वी जयदर्शिता संघ से जिनशासन की आराधना व ज्ञान की जो बाते सीखने को मिली उसके प्रति भी काव्य रचनाओं व विचारों के माध्यम से आभार जताते हुए संकल्प दर्शाया गया कि उन सीखी हुई बातों को जीवन में उतारने का पूरा प्रयास करेंगे। पूरा माहौल श्रद्धा व भावनाओं से ओतप्रोत था।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया बुधवार सुबह 7 बजे आयड़ तीर्थ पर साध्वी जयदर्शिता आदि ठाणा का चातुर्मास परिवर्तन कराया गया। जो पार्श्वनाथ मंदिर छीपा मोहल्ला से गाजे-बाजे की मधुर स्वर लहरियों के साथ शोभायात्रा निकालते हुए पुन: आयड़ तीर्थ पहुंचे। जगह-जगह श्रावक-श्राविकाओं ने गऊली बनाकर साध्वी जयदर्शिता संघ का स्वागत किया गया। जहां पर व्याख्यान एवं शत्रुंजय भावयात्रा का आयोजन हुआ। शत्रुंजय तीर्थ के पट्ट समझ पांच चैत्यवंदन जिसमें जय तलेरी के सन्मुख, की शांति नाथ भगवान का, तीसरा रामण पगले का, चोथा पुंडरिकस्वामी का एवं पांचवां की भादि भगवान का इस प्रकार किये। सिद्धाचल जी के इक्कीस खमासमण देकर भाव यात्रा की गई। संघ के प्रत्येक सदस्यों ने बहुत ही भावोल्लास पूर्वक आराधना की। उसके बाद सभी श्रावक-श्राविकाओं की नवकारसी का आयोजन हुआ।
साध्वी जयदर्शिता ने बताया कि जगत में तीर्थ अनेक है। परन्तु शाश्वत गिरिराज शत्रुजय महातीर्थ की तुलना कर सके ऐसा कोई तीर्थ तीन लोक में नहीं है। महाविदेह क्षेत्र में विचरते नर्तमान तीर्थकर प्रभु सीमंधर स्वामी परमात्मा ने जिस महातीर्थ की महानता 1 और प्रभावकता की प्रशंसा की है। जिसके एक-एक पत्थर पे भी अनंत- अनंत आत्मा ने मोक्षपद पाया है और पायेंगे। जहाँ - आदिनाथ प्रभु पूर्व नव्वाणु बार पधारे है। जिसकी महिमा अपरंपार है । ऐसे महान तीर्थ की भाव यात्रा करके हम भी परमात्म भक्ति में तल्लीत बने हैं।
- आयड़ तीर्थ में 7 नवम्बर से पांच दिवसीय आयोजन होंगे
नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 7 नवंबर को प्रात: 9.30 बजे संयम उपकरण वंदावली व वाद विवाद प्रतियोगिता विषय संयम जीवन उत्तम या गृहस्थ जीवन उत्तम का आयोजन होगा। 8 नवम्बर को चौबीसी का कार्यक्रम, 9 नवम्बर को नवकार मंत्र के अनुष्ठान, 10 नवंबर को आदिनाथ पंच कल्याणक पूजा एवं 11 नवम्बर को प्रात: 6 बजे रायण पगलिये की प्रतिष्ठा और प्रतिष्ठा पश्चात नवकारसी का आयोजन होगा।
