पुष्प पूजा से अपनी आत्मा को सुगंधित करें : : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

पुष्प पूजा से अपनी आत्मा को सुगंधित करें : : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन कहां कि पुष्पपूजा करते समय हमारी मनो भूमि पर यह चिंतन चलना चाहिये कि हे परमात्मा! आपको सुमन यानि पुष्प अर्पित कर आपसे सुमन समान मन की कामना करता हूँ। आपके अंग पर चढऩे वाला पुष्प जिस प्रकार भव्य बन खा जाता है ठीक वैसे ही मुझे भी भव्यत्व (सम्मकृत्व) प्राप्त हो। हे आनन्ददाता! आपकी आत्मा के प्रत्येक प्रदेश में सुगंध के महासागर उमड़ रहे हैं। आपके एक-एक प्रदेश में अनंतानंत गुणों का निवास है। आपके श्वासोच्नास में भी मंदार और पारिजात जैसे फूलों सी मटक है। हे गुणदाता! पुष्पों के हार या सोने के अलंकार के बिना भी आपकी शोभा तो अनूठी है। फिर भी मैं आपके समझ पुष्प लेकर इसलिये आया हूँ कि मेरी आत्मा दुर्गुणोंकी दुर्गन्ध से भरी हुई है ये पुष्प आप स्वीकार कीजिये और इनके बदले में आप मुझे गुणों की सुशच दीजिये। कुमारपाल महाराजा को पूर्वभव में पुष्पशता करते हुए जैसे भाव जगे थे वैसे भाव आपके प्रभाव से मेरे हृदय में भी जगे और महाराजा कुमारपाल की तरह मुझे भी इस पुष्प पूजा के पुण्य प्रभाव से गणधर पद की संप्राप्ति हो। मैं भाव सुगंध पाने की इच्छा से आज मैं आपको द्रव्य सुगंध अर्पण कर रहा हूँ। हमें पुष्पों के विषय में सावधानी भी रखनी है कि पूजा में सुंदर रंग वाले, अच्छी सुगंध वाले, ताजे, जमीन पर न गिरे हों पूर्ण रूप से विकसित हो ऐसे अखंड पुष्प लाने चाहिये, अर्पण करें।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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