श्री सिध्दहेमचन्द्र शब्दानुशासनं की चार पुस्तकों का हुआ भव्य विमोचन

उदयपुर, । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है। मालदास स्ट्रीट के प्रांगण में भारवाही संगीतमय "नमो श्रुतज्ञानम् नमो श्रुतज्ञानी" का भव्य कार्यक्रम हुआ। प्राय: 950 वर्ष पूर्व हुए जैनाचार्य कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र सूरीश्वर महाराज द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण " सिध्द हेमचन्द्र शब्दानुशासनम्" का जैन हिन्दी साहित्य दिवाकर जैनाचार्य रत्नसेनसूरीश्वर महाराज ने चार भागों में संपादन किया है। इन पुस्तकों का हाथी की अंबाडी पर स्थापित कर भव्य सन्मान एवं विमोचन कार्यक्रम हुआ।
संघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि प्रारंभ में प्रतापगढ़ से आए सुप्रसिद्ध संगीतकार दीपकभाई करणपुरिया ने सभी को भक्तिसंगीत में जोड़ा। तत्पश्चात् कार्यक्रम के लाभार्थी श्यामलाल हरकावत परिवार ने ग्रंथ रत्न का प्रवेश कराकर ग्रंथ रचनाकार की तस्वीर पर मालार्पण किया। फिर मुनिश्री स्थूलभद्रविजय का प्रवचन एवं पंडितवर्य शंभुप्रसाद पाण्डेय ने वक्तव्य प्रस्तुत किया। चारों पुस्तकों का विमोचन डा. राहुलजी जैन, श्यामलालजी हरकावत, नरेन्द सिंघवी, देशबन्धु जैन, जयडूंगर सिंह कोठारी, जसवंत सिंह सुराणा, डा. शैलेन्द्र हिरण, राजेन्द्र जावरिया, नीता सिंघवी ने किया।
रविवार को मालदास स्ट्रीट के नूतन आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा कुए, तालाब और नदी में पानी मर्यादित होता है परंतु सागर में अमर्यादित पानी होता है। जर्मन के विद्वान हर्मन जेकोबी ने "श्री सिद्धहेमचन्द्र शब्दानुशासनम्" के रचयिता जैनाचार्य श्रीहेमचन्द्र सुरीश्वरजी को ज्ञान के महासागर पद से सम्मानित किया था. गुजरात के राजा सिध्दराज जयसिंह की प्रार्थना का स्वीकार कर मात्र एक वर्ष में नवनिर्माण करके सभी विद्वान पंडितों के लिए आश्चर्य और आदर्श प्रस्तुत किया है। सिध्दराज जयसिंह राजा ने हाथी की अंबाडी पर स्थापित कर इस ग्रंथ रत्न का सम्मान किया था। इस ग्रंथ रत्न को जलदिव्य देकर इसकी प्रमाणिकता भी सिद्ध की गई थी। अर्थ और काम के पीछे पागल बने दुनिया के लोग यदि इन धर्मग्रंथों का पठन करे तो ही जीवन सफल हो सकता है।
श्रीसंघ के राजेश जावरिया ने बताया कि 21 से 23 जुलाई तक त्रिदिवसीय जैनाचार्य रामचन्द्र सूरीश्वर महाराज की 34वीं स्वर्गारोहण पुण्यतिथि निमित्त विशाल गुणानुवाद सभा, शक्रस्तव महाभिषेक एवं पंच कल्याणक पूजा आदि विविध कार्यक्रम होगे। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, गौतम मुर्डिया, अभिषेक हुम्मड, जसवंत सिंह सुराणा, भोपाल सिंह सिंघवी, हेमंत सिंघवी, प्रवीण हुम्मड सहित 400 से अधिक श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।