गुरुदेव पंन्यासप्रवर भद्रंकर विजय की 96वीं दीक्षा तिथि मनाई

उदयपुर ।जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वरजी आदि साधु साध्वीजी की शुभ निश्रा में महावीर विद्यालय-चित्रकुट नगर- उदयपुर में सामुहिक उपधान तप बडे, हर्षोल्लास के साथ चल रहा है। शनिवार को गुरुदेव अध्यात्मयोगी पूज्यपाद पंन्यास प्रवर भद्रंकर विजयी म.सा. की 96 में दीक्षा तिथि निमित्त गुरुगुण गुणानुवाद सभा का आयोजन हुआ । धर्मसभा में उनके गुणों का वर्णन करते हुए जैनाचार्य ने कहा कि :-दुनिया के सभी जीव भौतिक सुखों के पीछे पागल है। परंतु संसार का भौतिक सुख जहर के लड्डु के समान है, जो प्रारंभ में तो मधुर और प्रिय लगता है परंतु आगे चलकर वही भौतिक सुख आत्मा के पतन का कारण बनता है। पूज्य गुरुदेव के जीवन में क्षमा, नम्रता, सरलता, संतोष नि:स्पृहता आदि अपार गुणो से भरा था। पद और प्रतिष्ठा से वे सदैव दूर रहते थे। अनेक बार उन्हें पूज्य वडिल गुरुभगवंतों के द्वारा आचार्य पद पर प्रतिष्ठीत करने के लिए प्रयत्न किया गया परंतु पद के प्रति नि:स्पृहता से वे पद स्वीकार के लिए निषेध कर मात्र आत्मकल्याण हेतु आशीर्वाद की प्रार्थना करते थे अनेक आचार्य भगवंत उन्हें वंदन करके हितशिक्षा की प्रार्थना करते थे।
