31 जुलाई को आयोजित होगा मोक्ष सप्तमी का ऐतिहासिक कार्यक्रम

31 जुलाई को आयोजित होगा मोक्ष सप्तमी का ऐतिहासिक कार्यक्रम
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उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। मंगलवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के दसवें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि मंगलवार को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इस्कॉन मंदिर से मायापुरवासी दास प्रभु, कांग्रेस से रघुवीर सिंह मीणा, इंद्र सिंह मेहता, सीआईडी क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी बृजेश सोनी, भूपेंद्र श्रीमाली, उद्योगपति माणक नाहर, बड़ाला क्लासेज के निदेशक राहुल बड़ाला थे । आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन सीमा फांदोत एवं शास्त्र भेंट गेंदालाल विनोद फांदोत ने किया।

चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के दसवें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा जीवन ज्यादा अकडऩा नहीं, झुक कर जीयो, जो ज्यादा अकड़ता है उसे यमराज जल्दी पकड़ता है । महान स्थान पर बैठने से आदमी महान नहीं होता, महान आदमी जहां बैठे वह स्थान महान हो जाता है । हमेशा अपने स्वभाव को निर्मल और सरल रखो । एक बार प्रभु श्री राम ने कहा हनुमान तुमने मेरा संकट में बहुत साथ दिया । "आंधियों में दीप जलाना सबके बस की बात नहीं और बुरे समय में साथ निभाना सबके बस की बात नहीं ।" हनुमान ने कहा मुझे शर्मिंदा मत करो नाथ, मेरा फर्ज था । राम ने कहा मेरा मन करता हूं तुझे कुछ दूं । जिस जिस ने मेरा इन 14 वर्षों में साथ दिया, बदले में मैंने उन्हें कुछ ना कुछ दिया है, तो मैं तुम्हे भी कुछ देना चाहता हूं । हनुमान ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए, आपने मुझे दास बनाया मुझ पर विश्वास किया, यह बहुत बड़ी बात है । आपसे मिलने के पहले मुझे कौन जानता था, आपने मुझे बहुमूल्य बना दिया । राम ने कहा कि यह सत्य है तुम्हारे बिना सीता की वापसी नहीं हो सकती थी, इसलिए मैं तुम्हे कुछ देना चाहता हूं । राम ने कहा हनुमान तुम मुझे भरत जैसे प्रिय हो, तुमने मुझ पर उपकार किया, हनुमान बोले मैने कोई उपकार नहीं किया । राम ने हनुमान से कहा मुझे संतोष हो जाएगा, मुझसे थोड़ा कुछ मांग लो, मेरा मन हल्का हो जाएगा । हनुमान ने कहा जो आपकी मर्जी हो वो हमारी अर्जी, आपको जो देना है दे दो । मुझे कोई पद नहीं चाहिए । भगवान देना है तो मुझे अभूतपूर्व पद दो, जो सदियों सदियों तक एक जैसा रहे । हनुमान ने बोला राम से कि आप वचन दो कि मैं जो मागूंगा, वो मुझे दोगे, श्री राम ने वचन दे दिया । हनुमान ने राम के दोनों पद (पैर) पकड़े, और कहा मुझे ये दोनों पद दे दो, इसके अलावा मुझे कोई पद नहीं चाहिए । सीता ने कहा कि ये पद तो मेरे है, मै इनका अनुसरण करके इनके पीछे पीछे चलती हूं । हनुमान ने कहा कि प्रभु ने वचन दिया है । तो श्रीराम ने अपना वचन निभाया और हनुमान ने जो मांगा वो उन्हें दे दिया, हनुमान ने कहा कि यह चरण आप किसी को दोगे तो नहीं, प्रभु श्री राम ने कहा नहीं, इसलिए आज जहां जहां भी राम के मंदिर होते है, वहां हनुमान हमेशा चरणों में बैठे दिखा करते है ।

आचार्यश्री ने कहा तुम किसी का भला करो तो तुरंत भूल जाओ, और तुम पर कोई उपकार कर दे तो उसे जीवन भर याद रखो । धन चाहिए तो धनवान से मांगों, रूप चाहिए तो रूपवान से मांगों और भगवान चाहिए तो भगवान से मांगों । साधारण पुरुष को लेने में मजा आता है, महापुरुषों को हमेशा देने में मजा आता है । कभी भी किसी बड़े इंसान से कुछ मत मांगना, वह अपनी तरफ से दे तो बड़ी बात है कि मैं आज तुम्हे कुछ देना चाहता हूं । हो सकता है वो तुम्हे बड़ी चीज देना चाहता हो और तुम उससे छोटी चीज मांगलो । व्यक्ति को स्वभाव से निर्मल एवं सहज होना चाहिए ।

- 31 जुलाई को मनाई जाएगी मोक्ष सप्तमी

चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि 31 जुलाई को होगा मोक्ष सप्तमी का ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें विशाल शोभायात्रा सर्वऋतु विलास से नगर निगम तक निकलेगी । भारत में पहली बार भगवान का साक्षात् समवशरण शोभायात्रा में निकलेगा, साथ ही कई विशाल झांकियां भी इस शोभायात्रा में रहेगी, धनपति कुबेर रत्न वर्षा करते हुए चलेंगे, कई बड़े इंद्र और अष्ट कुमारियां भी साथ में चलेगी, मुकुट सप्तमी पर ऐसा भव्य दृश्य पहली बार कही देखने को मिलेगा । जिसमें सौधर्म इंद्र श्रीपाल, दीपेश एवं पिंटू कड़वावत परिवार, धनपति कुबेर सुनील जैन परिवार अजमेर वाले, ईशान इंद्र का सुमतिलाल रांटीया परिवार होंगे । शोभायात्रा टाउन हॉल पहुंचेगी, जहां सम्मेद शिखरजी की विहंगम रचना पर प्रभु पार्श्वनाथ को 23 किलो का निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाएगा ।

इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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