पर्यटन मंत्रियों के मंथन से निकला वैचारिक अमृत

उदयपुर । भारत की पर्यटन संभावनाओं को नई दिशा देने के उद्देश्य से लेक सिटी में आयोजित राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन का दूसरा सत्र मंगलवार को होटल मेरियट में विचार-विमर्श के माहौल में आयोजित हुआ। सम्मेलन के दूसरे सत्र में विभिन्न राज्यों के पर्यटन मंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों के पर्यटन विकास प्रतिवेदन, सफल मॉडल और भविष्य की योजनाएं प्रस्तुत कीं। द्वितीय सत्र में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत तथा राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी विशेष रूप से उपस्थित रहीं। इस अवसर पर मेघालय, लद्दाख, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र सहित देशभर के राज्यों के पर्यटन मंत्री, पर्यटन सचिव एवं केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
पर्यटन विकास को मिले नई गति - शेखावत
केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत में पर्यटन केवल आर्थिक विकास का साधन नहीं, बल्कि संस्कृति, विरासत और प्रकृति के संरक्षण का माध्यम भी है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार “डीजी टूरिज्म पॉलिसी” तैयार कर रही है, जिसके लिए सभी राज्यों से महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त किए जा रहे हैं ताकि पर्यटन विकास के लिए एक साझा राष्ट्रीय नीति बन सके। शेखावत ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र की मूलभूत संरचनाओं और सुविधाओं के विस्तार हेतु केंद्र सरकार आवश्यकतानुसार राज्यों को बजट आवंटन करेगी। साथ ही उन्होंने सरकार के साथ ही निजी निवेशकों के जरिए भी पर्यटन क्षेत्र में विकास की प्रचुर संभावनाएं जताई। उन्होंने सभी राज्यों से आग्रह किया कि प्रत्येक राज्य अपने एक या दो प्रमुख पर्यटन गंतव्य को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करे, जिससे भारत की वैश्विक पर्यटन छवि और मजबूत हो सके।
राज्यों ने साझा किए नवाचार और सफल मॉडल
सम्मेलन में मेघालय, लद्दाख, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, सहित विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए। केरल और तमिलनाडु ने इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन की सफल योजनाएं प्रस्तुत कीं। लद्दाख और मेघालय ने साहसिक एवं पर्वतीय पर्यटन के नए मॉडल साझा किए। महाराष्ट्र और गुजरात ने धार्मिक, ग्रामीण और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बताईं।
