लूटोगे तो लुट जाओगे, और लुटाओगे तो लौट कर वापस आएगा - राष्ट्रसंत पुलक सागर

उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। सोमवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के १6वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि सोमवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद अर्जुनलाल मीणा, वरिष्ठ समाजसेवी केसुलाल मालवी, मेवाड़ जैन युवा संस्थान के अध्यक्ष निर्मल कुमार मालवी, शांतिलाल गांगावत, डॉ. राजेश देवड़ा, गौरव गनोडिय़ा, राजेश बडजात्या, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा दिनेश भट्ट, अध्यक्ष गुर्जरगौड़ ब्राह्मण समाज राकेश जोशी उपस्थित थे ।
चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के १6वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा लूटोगे तो लुट जाओगे, और लुटाओगे तो लौट कर वापस आएगा। प्रत्येक व्यक्ति संसार में अकेला आता है और अकेला दुनिया से विदा हो जाता है । कुछ लेकर इंसान आए या ना आए लेकिन शरीर लेकर आता है, और जाता है तो शरीर भी छोडक़र चला जाता है । आने और जाने के इस खेल, नियम और व्यवस्था के बीच का समय आदमी का जीवन हुआ करता है । आदमी जिस जगह पैदा होता है, जिन लोगों के बीच रहता है, जहां उसका परिवार रहता है, उस मनुष्यों के समूह को हम समाज कहते है । पशुओं का, पक्षियों का अपना एक समाज होता है, वह भी एक समूह में रहा करते है, सुख सुख बांटता है । समूह के बीच अपनी संवेदनाओं का आदान प्रदान करता है, तुम्हारे घर कितने बड़े बन गए, इससे समाज का कोई लेना देना नहीं । ईंट पत्थरों के सुनियोजित तरीके से जो ढांचा बनता है, उसे मकान कहते है और मनुष्यों के सुनियोजित तरीके के समूह को समाज कहते है । समाज में प्रेम होना चाहिए, समाज में इंसान को इंसान का दर्जा दिया जाना चाहिए । समाज का गठन आदि अनादि काल से चला आ रहा है, जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने समाज की व्यवस्था का निर्माण किया । अखबार और मैगजीन रोजाना पढ़ते हो, इंसान को कभी समय निकाल कर स्वयं को भी पढऩा चाहिए । जिसने स्वयं को पढ़ लिया उसका बेड़ा पार है और जिसने स्वयं को नहीं पढ़ा उसका जीवन बेकार है ।
भगवान महावीर ने तीर्थों का निर्माण किया जिसमें तीर्थ दो प्रकार के होते है एक इंसान बनाता है, और एक तीर्थ स्वयं तीर्थंकर बनाया करते है, तीर्थों के निर्माण से ही उन्हें तीर्थंकर कहा जाता है । भगवान महावीर ने चार शाश्वत और चैतन्य तीर्थ बनाएं, जिन्हें हम मुनि, आर्यिका, श्रावक और श्राविका कहते है । समाज भी एक तीर्थ के समान है, यदि ये समाज के चार चैतन्य तीर्थ नहीं होंगे तो अचैतन्य तीर्थ को कोई संभालने वाला नहीं होगा। किसी की सफलता पर उसकी टांग खींचने की जगह उसकी तारीफ करो, आपको स्वयं अपने जीवन में उपहार स्वरूप मिल जाएगा ।बचपन में ज्ञान अर्जन, जवानी में धन अर्जन और बुढ़ापा पुण्य अर्जन के लिए होता है । रात ऐसे बिताओ कि सुबह किसी को मुंह दिखाने में किसी को कोई शर्म महसूस ना हो और दिन ऐसा बिताओ कि रात को चैन की नींद सो सके, और जवानी ऐसी जियो कि बुढ़ापे में किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े । जाग कर के जियो, बुढ़ापा बिन बुलाया मेहमान है, कितने भी उपाय कर लो, प्लास्टिक सर्जरी करवा लो, मेकअप कर लो, लेकिन बुढ़ापा तो आकर ही रहेगा । बुढ़ापा तो जिंदगी का सुनहरा अध्याय है, जिसमें जीवन के अनुभवों को जीने का अवसर मिलता है । उम्र को छोटी बताने से, झुर्रियों को छुपाने से, नकली बत्तीसी लगाने ने बुढ़ापा नहीं आएगा, इस गलत फहमी में मत रहना, वो आएगा ही आएगा ।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि 9 अगस्त को रक्षाबंधन एवं 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन होंगे । इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।