आरके पुरम में चल रही भागवत कथा में धूमधाम से मनाया कृष्ण जन्मोत्सव

आरके पुरम में चल रही भागवत कथा में धूमधाम से मनाया कृष्ण जन्मोत्सव
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उदयपुर, । शहर के आरके पुरम, गिरिजा व्यास पेट्रोल पंप के पीछे, नाथ नगर, साईं अपार्टमेंट के पास में चल रही संगीतमय भागवत कथा में चौथे दिन भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया।

शनिवार को व्यासपीठ से कथावाचक पुष्कर दास महाराज ने कहा कि ईश्वर का नाम सहज, सरल है कोई भी व्यक्ति कभी भी ले सकता है। नाम जप करने से व्यक्ति का जीवन बदलता है कई बीमारियां भी ठीक होती है, मनुष्य जन्म अनमोल है ये बार-बार नहीं मिलेगा इसमें जो सत्कर्म, दान पुण्य करना समय पर कर लेवे। इस जनम में जो दान पुण्य करते है वो अगले जन्म को सफल बनाने की तैयारी करते है, हम मंदिर, दर्शन, सत्संग करे परंतु हमारी वजह से किसी को कष्ट ना हो वो सही सत्कर्म कहा जाता है।

महाराज ने कहा भागवत की कथा में भगवान विष्णु ने 4 अवतार लिए उसमें से मत्स्य अवतार, कच्छभ अवतार, वराह अवतार और मोहिनी अवतार है। इन चार अवतार में से एक अवतार मत्स्य नारायण का आया है। कथा को आगे बढ़ाते हुए भागवत के 24 गुरु की व्याख्या की, महाराज ने कहा शादी ब्याह में हम उपहार देते है उसके साथ में रामायण, गीता, भागवत जैसे ग्रंथ के उपहार भी देने चाहिए। हर घर में ग्रंथ होने चाहिए, आज के समय में बच्चों को कार सभी देते है पर संस्कार बहुत कम देते है। भक्ति रूपी सीता तभी मिलेगी जब अहंकार रूपी धनुष टूटेगा। आगे दशम स्कंध की कथा का वर्णन करते हुए कहा वासुदेव जी जैसे ही भगवान कृष्ण को सिर पर धारण किया उनकी बुद्धि पवित्र हुई सभी बेडिया और ताले खुल गए पहरेदार सो गए। कंस तो फिर भी ठीक था जो देवकी के पुत्रों को जन्म लेने के बाद हत्या करता था लेकिन आज के समय में घर घर में ऐसे कंस बैठे जो मां के पेट में ही बच्चियों को मरवा देते है । शास्त्रों में लिखा है ऐसे घर का पानी पीना भी पाप के समान है।

संयोजक विठ्ठल वैष्णव ने बताया कि कथा में कृष्ण जन्म की वेला आते ही पूरा पंडाल नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन से गूंज उठा और सभी श्रोता भजनों पर झूम उठे और जयकारे लगाए । अंत में व्यासपीठ पर बाल स्वरूप कृष्ण, वासुदेव जी की झांकी प्रस्तुत की, बाल कृष्ण की सुंदर ओर मनमोहक झांकी ने सभी भक्तों का मन मोह लिया। मुख्य यजमान नरेंद्र वैष्णव ने सभी भक्तो को प्रसाद रूप में माखन मिश्री, पंजेरी, पंचामृत का वितरित किया।

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