गमेर बाग धाम में 1501 दीपों से हुई महाआरती, उमड़े श्रावक-श्राविकाएं

गमेर बाग धाम में 1501 दीपों से हुई महाआरती, उमड़े श्रावक-श्राविकाएं
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उदयपुर। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुलक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के तहत दस लक्षण महापर्व आयोजन की धूम जारी है।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि सोमवार को गमेेर बाग धाम में बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में दशलक्षण पर्व के तहत नवें दिन उत्तम आकिंचन धर्म दिवस मनाया गया।

महावीर प्रसाद देवड़ा ने बताया कि मंगलवार को भक्ति संध्या एवं रात्रिजागरण एवं तपस्वी सम्मान समारोह का आयोजन होगा। जिसमें बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज एवं उत्कर्ष कीर्ति महाराज के 10 उपवास एवं क्षुल्लक सुप्रभात सागर महाराज के 16 उपवास के साथ ही 70 श्रावकों द्वारा दस उपवास एवं 12 श्रावकों द्वारा पांच उपवास करने पर श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज उदयपुर की ओर से सम्मानित किया जाएगा।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत ने बताया कि बुधवार सुबह अभिषेक शांतिधारा, दस लक्षण विधान पुजन होगी। उसके बाद थालोड़ी गमेर बाग मुख्य गेट से स्वर लहरियों के बीच मुख्य पाण्डाल तक लाई जाएगी। उसके बाद सभी तपस्वियों की शोभायात्रा निकाली जाएगी जो गमेर बाग धाम से नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर 14 जाएगी। शोभायात्रा पुन: गमेर बाग आकर दोनों गुरुदेव का पारणा कराया जाएगा। उसके बाद गुरुदेव द्वारा सभी तपस्वियों का सामूहिक पारणा कराया जाएगा। वहीं सकल दिगम्बर जैन समाज का भव्य स्वामीवात्सल्य का आयोजन होगा।

चातुर्मास समिति के भंवरलाल गदावत ने बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने प्रवचन में कहंा कि आकिंचन त्याग के बाद निर्लेपन का नाम है। व्यक्ति त्याग तो कर देता है लेकिन उसके अहंकार रुपी कषाय बनी रहती है। कषाय का एक परमाणु मात्र अंश को भी समाप्त करना निर्लेपन है। जैसे कैंसर रोग में ऑपरेशन के बाद कीटाणुओं के सम्पूर्ण विनाश के लिए कीमोथेरेपी की जाती है उसी प्रकार त्याग के बाद निर्लेपन किया जाता है। यही आकिंचन धर्म है। आकिंचन धर्म कहता है कि व्यक्ति को न तो अतीत की स्मृतियां आनी चाहिए और न ही अनागत की अपेक्षा करनी चाहिए। भोग उपभोग मिलने पर भी उनकी उपेक्षा करना आवश्यक है। उत्तम आकिंच्यन रंच मात्र भी इस दुनिया में मेरा कुछ नहीं आत्म धर्म के अलवर कुछ भी मेरे साथ नहीं जाएगा फिर इतना जीवन ने धन की हाय हाय क्यों इस पर विचार करना खाली हाथ आय थे और खाली हाथ ही जाना होता है कफन में जेब नही होती इसलिए आनंदित रहते हुए जीवन में आगे बढ़ाना है।

कार्यक्रम का संचालन लोकेश जैन जोलावत ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, कांतिलाल देवड़ा, मंजु गदावत, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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