मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में 45 आगम तप की महा मंगलकारी आराधना चल रही

मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में 45 आगम तप की महा मंगलकारी आराधना चल रही
X

उदयपुर । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ 45 आगम तप की महा मंगलकारी आराधना चल रही है। आगम तप की आराधना में एकासना की सुंदर व्यवस्था श्रीसंघ के द्वारा की गई है। बड़ी संख्या में आराधक प्रवचन एवं तपश्चर्या में जुड़े है।

श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि शनिवार को मालदास स्ट्रीट के नूतन आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा कि कुछ उत्तम आत्माएँ ऐसी होती हैं, जिन्हें किसी के भी उपदेश की आवश्यकता नहीं होती है। वे स्वत: ही अपनी इच्छा से धर्म के कार्यों में प्रयत्नशील बन जाती हैं। ऐसी उत्तम कक्षा में तीर्थंकर आदि महापुरुष होते हैं, जो स्वयं संबुद्ध होते हैं । कुछ आत्माएं अधम कक्षा की होती हैं, जिन्हें चाहे कितना भी उपदेश दिया जाय, पर्वत की खेती के समान, वह निष्फल ही जाता है। ऐसी आत्माओं पर उपदेश का कोई असर नहीं होता है। अत: अधम आत्मा को लक्ष्य में रखकर धर्मोपदेश नहीं दिया जाता है। उपदेश का दान मध्यम कक्षा के जीवों को लक्ष्य में रखकर दिया जाता है। उत्तम और अधम कक्षा के जीवों का परिमाण अति अल्प होता है। सामान्यतः: जीव मध्यम कक्षा के होते हैं। उनको दिया हुआ हितोपदेश अवश्य ही फलप्रद बनता है । वर्षावास के चातुर्मास का अत्यधिक महत्व भी हितोपदेश के कारण ही है। जैन साधुओं का आचार है कि वे 8 महिने अन्य क्षेत्र में विचरण कर वर्षाकाल के चातुर्मास को एक स्थान पर ही व्यतीत करते हैं। सद्गुरुओं के सान्निध्य से उनके सदुपदेश श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। उपदेश के कारण ही इस चातुर्मास में, दान, शील, तप और भाव धर्म की आराधना अधिकाधिक मात्रा में होती है। यदि संसार के व्यापार का अल्पकाल के लिए भी त्याग करके एकाग्र मन से धर्मोपदेश का श्रवण किया जाय, तो वह धर्मोपदेश आत्मा के लिए हितकारी बनकर आत्मोन्नति कराए बिना नहीं रहता है। जैसे शरीर के किसी भी भाग में दर्द हो परंतु मुँह से दवाई लेने पर दर्द से मुक्ति मिलती है। वैसे ही आत्मा के सभी रोगों का इलाज परमात्मा के वचनों के श्रवण से होता है। जैसे डॉक्टर द्वारा दी गई दवाई पर विश्वास रखकर सेवन करने से शरीर के रोग अवश्य शांत होते हैं। वैसे ही परमात्मा के वचनों पर पूर्ण विश्वास आ जाए, तो आत्मकल्याण हुए बिना नहीं रहेगा । कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष शैलेन्द्र हिरण, जसवंतसिंह सुराणा, हेमंत सिंघवी, निर्मल जैन, गौतम मुर्डिया आदि मौजूद रहे।

Tags

Next Story