आयोजन को लेकर सदस्यों ने दिया तैयारियों को अंतिम रूप

उदयपुर । हुक्म संघ के नवम नक्षत्र, नानेश पट्टधर पूज्य आचार्य भगवन् रामलाल महाराज का स्वर्णिम दीक्षा महोत्सव रविवार को टाउन हॉल स्थित सुखाडिय़ा रंगमंच पर धूमधाम से मनाया जाएगा। एक विराट व्यक्तित्व लाखो लाखो भक्तों के भावों में भगवान के रूप में विराजमान होने के बावजुद आप निर्मोह फक़़ीर साधक के भांति निरन्तर कठिन क्रिया की पालना करते हुए भारत भूमि के सख्त धरातल को अपनी कोमल पवित्र पावन देशणा से निरंतर लाभान्वित कर रहे है। परम हर्ष का विषय है कि हम ऐसे दिव्य भास्कर, आदर्श योगी पूज्य रामलाल महाराज कास्वर्णिम दीक्षा महोत्सव मना रहे है। ये उत्सव पूरे देश में सर्व समाज के सहयोग से महत्तम महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस श्रृंखला में साधुमार्गी जैन संघ, उदयपुर सुखाडिय़ा रंगमंच, टाउनहॉल पर आज महत्तम नंदन कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत आचार्य पूज्य गुरुदेव के जीवन के महत्वपूर्ण 50 घटनाओं/गुणों को मुख्य वक्ता अपनी विशेष शैली के माध्यम से जनसभा के मध्य रखेंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता निर्मल संघवी, इंदौर होंगे। मुख्य अतिथि अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन श्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र गांधी, जावद होंगे । उदयपुर जैन समाज के लगभग 2000 श्रावक श्राविकाओ की सहभागिता द्वारा समता शाखा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत होगी। उसके पश्चात महत्तम नंदन कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत होगी। आज के कार्यक्रम में साधुमार्गी जैन संघ, उदयपुर की नवीन कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह भी होगा।
आचार्य रामेश का जीवन परिचय
आचार्य रामेश का जन्म थली प्रान्त के देशनोक ग्राम (राज.) में चैत्र शुक्ला चतुर्दशी वि.सं. 2009 में हुआ। आपकी माताजी धर्मनिष्ठ सुश्राविका गवराबाईजी थी। आप के पिता धर्मनिष्ठ सुश्रावक नेमीचन्दजी भूरा थे। अनाथीमुनि की तरह दृढ़संकल्प के साथ माद्य शुक्ला 12 सन् 1975 को देशनोक में समीक्षण ध्यान योगी, समता विभूति श्रद्धेय आचार्य नानेश से प्रव्रज्या अंगीकार की। चितौडग़ढ़ में आश्विन शुक्ला द्वितीया सन् 1990 को आचार्य नानेश द्वारा मुनिप्रवर की उपाधि से विभूषित किया गया। बीकानेर में फाल्गुन शुक्ला तृतीया सन् 1992 को आचार्य नानेश ने उत्कृष्ट मुनिचर्या स्व - पर अनुशासन की विशिष्ट क्षमता, सेवा गुण सम्पन्नता, बहुज्ञाता, धीरोदात्त चारित्र के गुणों से युक्त आचार्यत्व के विशिष्ट गुणों से सम्पन्न मुनिप्रवर रामलाल महाराज को हुक्म संघ के नवम् पट्टधर के रूप में युवाचार्य पद प्रदान किया। अद्भुत व्यक्तित्व के धनी, कठोर संयम के पक्षधर, संयम के प्रति सजग, ज्ञानार्जन के प्रति विशिष्ट रूझान रखनेवाले युवाचार्य रामेश उदयपुर में कार्तिक कृष्णा तृतीया वि.सं. 2056, 27 अक्टूबर 1999 को आचार्य पद पर विराजित हुए। संघ का कुशल नेतृत्व करते हुए अभी तक लगभग 415 आत्माओं को आपने दीक्षित किया है। चित्तौडग़ढ़ जिले के बावरी समाज के लोगों को नियंत्रित करने में प्रशासन को जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे अराजक विकमों में लिप्त बावरी समाज को प्रतिबोधित कर व्यसनमुक्त बनाकर सिरीवाल समाज की संज्ञा प्रदान की। व्यसनमुक्ति आन्दोलन के अन्तर्गत अभी तक हजारों लोगों को व्यसनमुक्त बनाया है। आपनी को प्रत्युत्पन मति एवं गूढ़आगमसम्मत ज्ञान हेतु सन् 1990 में परमागम रहस्यज्ञाता की उपाधि से विभूषित किया गया। आप का हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं तथा जैन आगम के साथ ही जैनेतर साहित्य एवं ज्योतिष साहित्य एवं ज्योतिष विज्ञान पर भी विशेष अधिकार है। आप 50 वर्षों में संयम की कठोर मर्यादाओं के साथ संयम पथ पर निरन्तर अग्रसर है। आप ने समाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु उत्क्रांति का शंखनाद किया। इस शंखनाद से बहुत से गांव, नगर, शहर उत्क्रांति गांव, नगर, शहर बन गए। आप ने संघ विस्तार एवं श्रमण, श्रमणियो में रत्नत्रय की अभिवृद्धि के लिए शासन दीपक राजेशमुनिजी म.सा. को 3 मार्च 2019 को ब्यावर में बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर के पद से विभूषित किया।