नई शिक्षा नीति 2020: भारत को विश्वगुरू बनाने में शिक्षक और कर्मचारी निभाएंगे अहम भूमिका

नई शिक्षा नीति 2020: भारत को विश्वगुरू बनाने में शिक्षक और कर्मचारी निभाएंगे अहम भूमिका
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उदयपुर,। नई शिक्षा नीति 2020 ऐसी जीवंत दृष्टि है जो राष्ट्र के विकास का प्राण है। यह सिर्फ काजगी दस्तावेज नहीं है बल्कि भारत को विश्व गुरू बनाने की आधारशिला है। इससे ऐसी नई पीढ़ी तैयार होगी जो राष्ट्र प्रथम की अवधारणा से ओतप्रोत होगी। विधासभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सोमवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय शैक्षणैतर कर्मचारी संघ की ओकर से आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन एवं सेमिनार में नई शिक्षा नीति पर जन प्रतिनिधियों की सहभागिता विषय पर संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए यह विचार व्यक्त किए।

देवनानी ने कहा कि कस्तूरीरंगन के साथ मिलकर नई नीति को अंतिम रूप देने में उनका भी योगदान रहा है। उन्होने इसे लागू करने में शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के समन्वित प्रयास की आवश्यकता जताई। विशेषकर जनप्रतनिधियों की भूमिका के बारे में बोलते हुए देवनानी ने कहा कि जनप्रतिनिधि स्थानीय स्तर की आवश्यकता के अनुरूप सुझाव देते हैं जिससे नीति निर्धारण की प्रामाणिकता बढ़ती है। नई नीति में रटने और अंक प्राप्त करने के मैकाले के प्रभाव को समाप्त कर आवश्यक सुधार किया गया है। आज बालक की आवश्यकता के अनुरूप तत्व शामिल करते हुए मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है। देवनानी ने कहा कि नई नीति में विश्वविद्यालयों के आधारभूत ढांचे के विकास पर भी जोर दिया गया है।

तीन संकल्प लेने का किया अनुरोध

देवनानी ने अपने उद्बोधन के दौरान कर्मचारी संघ को इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान तीन संकल्प लेकर लौटने का अनुरोध किया। राजस्थान के सभी विश्वविद्यालय 2026 तक नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को मूर्त रूप देंगे। शैक्षणेत्तर कर्मचारियों को शिक्षा प्रणाली के केंद्र में रखेंगे तथा जनप्रतिनिधियों व विश्वविद्यालय के बीच आदर्श संबंध स्थापित करेंगे। वार्ता, सहभागिता और साझा लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ने का मंत्र देते हुए उन्होने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में जनप्रतिनिधियों को शामिल करना चाहिए। विश्वविद्यालय सद्नागरिक तैयार करें और रोजगारपरक शिक्षा के केंद्र बनें। विश्वविद्यालय राजनीति का केंद्र ना बने तो नई शिक्षा नीति के लागू करने में और अधिक आसानी होगी।

सुखाड़िया विश्वविद्यालय शैक्षणैतर कर्मचारी संघ अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सरस्वती की मूर्ति के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन करने के बाद कुलगीत के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में राज्यपाल सलाहकार प्रोफेसर कैलाश सोडाणी ने नई शिक्षा नीति को विद्यार्थियों के हित में बताते हुए इसके क्रियान्वयन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को यह पूर्णतया छूट दी गई है कि वह किस-किस विषय पर अध्ययन करें और अपनी डिग्री कितने समय में सफलतापूर्वक पूरी करें। कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर बीपी सारस्वत ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक रिक्त पदों को भरे जाने तथा इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु राज्य सरकार स्तर पर फंड उपलब्ध कराए जाने के बारे में राज्य सरकार से निवेदन किया। कुलगुरु ने विश्वविद्यालय कर्मचारी को समय की सदुपयोगिता एवं कार्य के प्रति समर्पण रखने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के हरियाणा प्रांतीय अध्यक्ष चरण दास अटवाल ने भी विचार व्यक्त किए। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष एवं कर्मचारी संघ मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संरक्षक भरत व्यास ने विश्वविद्यालय में घटते हुए कर्मचारियों की संख्या के बारे में चिंता जताते हुए कहा की नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कर्मचारियों की संख्या का पर्याप्त होना एवं उनमें विश्वास होना परम आवश्यक है। अंत में अध्यक्ष प्रवीण सिंह सारंगदेवोत ने नई शिक्षा नीति एवं भारतीय शिक्षा नीति के बीच संबंध पर चर्चा करते हुए नई शिक्षा नीति क्रियान्वयन हेतु कर्मचारियों द्वारा प्रत्येक स्तर पर सकारात्मक सहयोग हेतु आश्वस्त किया। पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों का सम्मान किया गया एवं 37 सेवानिवृत्ति कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। पिछले दिनों कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में विजयी रहे प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। मंच संचालन श्रीमती एकता शर्मा एवं विनीत चौबीसा ने किया।

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