आचार्य भिक्षु त्रि- जन्मशताब्दी के अवसर पर उदयपुर में बिराजित साधु संतों को समर्पित किया भिक्षु साहित्य

आचार्य भिक्षु त्रि- जन्मशताब्दी के अवसर पर उदयपुर में बिराजित साधु संतों को समर्पित किया भिक्षु साहित्य
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उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के आध्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु के त्रि-जन्मशताब्दी के महाचरण को आयोजन करने आचार्य महाश्रणम की धवल सेना जन्मस्थली कंटालिया पहुंची। जहां आचार्य के स्वागत में श्रद्धा एवं आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा। इस अवसर पर आचार्य मंगल प्रेरणा देते हुए बताया कि एक शिशु जन्म लेकर जब महान बन जाता है तो उसके जन्म स्थान का गौरव बढ़ जाता है। इसी क्रम में भिक्षु के जन्म स्थान कंटालिया में हमारा तेरा दिन का प्रवास और त्रि-जन्मशताब्दी के महाचरण का आयोजन होगा। मंगल उद्बोधन में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार धर्म उत्कृष्ट मंगल है एक सामान्य, एक जगन्य और एक उत्कृष्ट स्थिति होती है। इसीलिए धर्म को सिर्फ मंगल ही नहीं उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। मानव जीवन में धर्म का बहुत ऊंचा स्थान है। इसके आगे धन, तन, जनता की बात छोटी होती है और धर्म ही सर्वाधिक ऊंचा होता है। क्योंकि धर्म ही आगे भी साथ जाने वाला होता है। इस अवसर पर मुख्य मुनि महावीर कुमार, साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा श्रीजी ने भी अपना मंगल प्रवचन प्रदान किया तथा मुनि कीर्तिकुमार व मुनि अर्हत कुमार ने भी गीत की प्रस्तुति दी।

श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉफ्रेस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि संस्थापक आचार्य भिक्षु के त्रि-जन्मशताब्दी के अवसर पर उनके जीवन के व्यक्ति कृतित्व पर बनाए गए साहित्य को सम्पूर्ण देश के सभी जैन साधु-साध्वियों को समर्पित किया जाएगा। इसी क्रम में उदयपुर में बिराजित दिगम्बर संत आचार्य पुलकसागर महाराज, आचार्य पुण्य कल्प सागर महाराज, आर्यिका प्रमोदमति माताजी, आर्यिका प्रियदर्शना श्रीजी, आर्यिका प्रसन्नमति माताजी, आर्यिका सुभूषणमति माताजी, आर्यिका विनयप्रभा, श्वेताम्बर समाज के प्रन्यास प्रवर निरागरत्न महाराज, साध्वी कीर्ति रेखा श्रीजी, साध्वी शिलकांता श्रीजी, साध्वी विश्वप्रभा श्रीजी, साध्वी पुष्पप्रभा श्रीजी, साध्वी चिंतन श्रीजी, साध्वी मणीप्रभ श्रीजी, आदि चारित्रात्माओं को साहित्य समर्पित कर सभी से आशीर्वाद प्राप्त किया।

उदयपुर में हुए साहित्य समर्पण आयोजन में कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, विनोद माण्डोत, दीपक सिंघवी, विजय लक्ष्मी गलूंडिया, मंजू फत्तावत, ललित लोढ़ा, ललित कोठारी, आयुष वक्तावत, कालूलाल चित्तौड़ा, संजय चित्तौड़ा, अशोक कोठारी आदि ने भी सहयोग किया।

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