रैबिज से हर 30 मिनिट में एक व्यक्ति की मृत्युः डॉ छंगाणी


उदयपुर, । भारत में अनुमानित प्रत्येक 30 मिनिट में एक व्यक्ति की मृत्यु रैबिज रोग से होती है अर्थात् अनुमानित 18 से 20 हजार लोगों की मृत्यु इस रोग से होती है। अगर विश्व स्तर पर देखे तो गत वर्ष इस रोग से मरने वालों की संख्या अनुमानित 55 हजार थी अर्थात् 10 मिनट में 01 व्यक्ति की मृत्यु इस रोग से हो रही है। ऐसा अनुमान है कि भारत में प्रत्येक 02 सेकंड में एक मनुष्य पशु के काटने का शिकार हो रहा है।

यह संबोधन पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने विश्व रैबिज दिवस के अवसर पर आयोजित तकनीकि सत्र में दिया। डॉ. छगाणी ने बताया कि यह रोग 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अधिक देखा जाता है। यह कुत्ता, बिल्ली एवं जंगली जानवरों के काटने से फैलता है, क्योंकि इस रोग की मृत्यु दर अत्यधिक होने के कारण इसका बचाव ही बेहतर साधन है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक बहुउद्देश्यीय पशुचिकित्सालय द्वारा 1639 श्वानों को इस रोग के बचाव का टीका लगाया जा चुका है। डॉ. छंगाणी ने यह बताया कि यह टीका राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क लगाया जाता है। हम सबका दायित्व है कि इस घातक, खतरनाक रोग से मानव को निजात दिलाने के लिए शहर में शत प्रतिशत श्वानों के इस रोग का टीका लगाकर शहर को रैबिज मुक्त बनाएं। संस्थान के वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. सुरेश शर्मा ने बताया कि रैबिज एक विषाणु जनित खतरनाक रोग है जो पशुओं से मनुष्यों मे लार द्वारा फैलता है। रैबिज का वायरस मस्तिष्क एवं स्पाईनकॉड पर हमला करता है। समय पर उपचार न होने पर मनुष्य की मुत्यु की प्रबल संभावना रहती है। डॉ. शर्मा ने बताया कि कुत्ते के काटने या खरोंच आने पर भी घाव को साबुन एवं स्वच्छ पानी से लगातार 05 मिनट तक धोते रहे तत्पश्चात् तुरन्त चिकित्सक से संपर्क कर उनके निर्देशानुसार इस रोग का उपचार करावें। पशु चिकित्सा संहायक पन्नालाल शर्मा ने श्वान को समय समय पर टीकाकरण कराने की विस्तृत जानकारी दी। तकनीकि सत्र के पश्चात् पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने शहर के चौराहों पर जाकर आमजन को लिफलेट वितरण कर रैबिज रोग के प्रति जागरूकता उत्पन्न की एवं आम भ्रांतियों से बचने की सलाह दी।

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