श्री कल्पसूत्र इक्कीस बार जो सुनता है वह आठ भव में मोक्ष में जाता है: आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

श्री कल्पसूत्र इक्कीस बार जो सुनता है वह आठ भव में मोक्ष में जाता है: आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
X

उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा की निश्रा में पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के आयोजन धूमधाम से जारी है। ये आठ दिन तक चलेगा जिसमें धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि की जाएगी। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम आयोजित हो रहे है। बुधवार 4 सितम्बर भादवा सुदी एकम को सुबह 9.30 बजे आयड़ तीर्थ में कल्पसुत्र वाचन के तहत 14 स्वप्न दर्शन की बोलियां लगेगी।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने पर्यूषण महापर्व की विशेष विवेचना करते हुए बताया कि पर्वाधिराज महापव्र पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। आज चौथे दिन के प्रवचन में कहां श्री कल्पसूत्र सकल शास्त्रों में शिरोमणी है। साल में सिर्फ पांच दिन और वह भी संवत्सरी पांचवा दिन बने इस तरीके से ही इस सूत्र का श्रवण अधिकाधिक गुरु के मुख से श्रवण करत सकते है। इक्कीस बार साधंत कल्पसूत्र सुनने वाली भव्यात्मा आठ भव में मोक्ष में जाती है। आचार्य ने भावुक स्वर से उपदेश भी दिया कि आपके पुत्रों को सच्चा धर्म, सच्चा पुत्र और सच्चा संस्कारी देखना चाहते हो तो 100 दिन तक साधु-गुरु के संग में रखो, काम हो जाएगा। भौतिकता के अतिरिक को रोकने के लिए इतना काफी है। इस अवसर पर कल्पसूत्र की अष्टप्रकारी पूजा, ज्ञाप पूजा के साथ गुरुदेव का कल्पसूत्र बहेराने की विधि हुई। आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।

Next Story