अल्प और विरल आत्माओं को ही प्रभु का शासन प्राप्त होता है : जैनाचार्य महाराज

अल्प और विरल आत्माओं को ही प्रभु का शासन प्राप्त होता है : जैनाचार्य महाराज
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उदयपुर। जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की शुभ निश्रा में महावीर विद्यालय चित्रकूट नगर में भद्रंकर परिवार द्वारा आयोजित सामूहिक उपधान तप बड़े उत्साह से चल रहा है। धर्मसभा में प्रवचन देते हुए जैनाचार्य ने कहा कि अनंतज्ञानी तारक तीर्थंकर परमात्मा जगत के जीवों के कल्याण के लिए धर्मशासन की स्थापना करते हैं। भूतकाल में तारक परमात्माओं के द्वारा स्थापित धर्मशासन को प्राप्तकर अनंत आत्माओं ने अपनी आत्मा का कल्याण किया है। तीर्थ अथवा तीर्थंकरों के आलंबन बिना मोक्षप्राप्ति संभव नहीं है। तीर्थंकरों के आलंबन से जितनी आत्माओं का मोक्ष होता है. उससे भी अधिक आत्माओं का मोक्ष तीर्थ के आलंबन से होता है, क्योंकि तीर्थंकरों का अस्तित्व मर्यादित समय के लिए होता है, जब कि तीर्थ का अस्तित्व लंबे समय के लिए होता है। शासन की स्थापना के बाद ऋषभदेव प्रभु का अस्तित्व एक हजार वर्ष न्यून एक लाखपूर्व वर्ष के लिए था, जब कि ऋषभदेव प्रभु के शासन का अस्तित्व 50 लाख करोड़ सागरोपम वर्ष के लिए विद्यमान था। शासन की स्थापना के बाद महावीर प्रभु का अस्तित्व 30 वर्ष के लिए था, जब कि उनके द्वारा स्थापित शासन का अस्तित्व 21000 वर्ष तक रहेगा । महान् पुण्य के उदय बिना वीतराग परमात्मा के द्वारा स्थापित शासन भी प्राप्त नहीं होता है। अल्प और विरल आत्माओं को ही प्रभु का शासन प्राप्त होता है। अपना परम सौभाग्य है कि इस कलिकाल में भी हमें प्रभु का शासन प्राप्त हुआ है। महावीर प्रभु ने जिस शासन की ज्योति जलाई है. उस शासन की ज्योति को टिकाए रखने के लिए अनेक अनेक महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है।

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