हमारे परमात्मा ने कमल के समान जीवन जीने की प्रेरणा दी है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

हमारे परमात्मा ने कमल के समान जीवन जीने की प्रेरणा दी है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि गुरुवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उन्होनें बताया कि 22 सितम्बर को आयड़ तीर्थ पर गीत-संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा का आयोजन होगा।

महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन कहां कि तारक तीर्थकर परमात्मा ने भी अपने धर्म उपदेश में कमल के स्वरूप का निर्देश कर कमल के समान जीवन जीने की प्रेरणा दी है। कमल की सबसे बड़ी प्रेरणा हे। कमल किचड़ में पैदा होता है, जल से अभिवृद्धि को प्राप्त करता है, परन्तु वह कमक कीचड़ व जल से एकदम अलिप्त ही रहता है। सरोवर के बीच रहने पर भी वह सरोवर के जल से अलग ही रहता है। कमल का मूक उपदेश है संसार में जीयो किन्तु अनासका भाव से भौतिक परार्थों के बीच रहने पर भी उन पदार्थों के प्रति हृदय में लेरा भी आसक्ति नहीं होनी चाहिये। यदि इसमें जो आसक्त होता है वह नीचे डूब जाता है और जो अनासक्त होता है वह कमल की भाँति ऊपर उठता है। जीवन में निर्लेप भाव आ जाय तो जीवन आत्मा के असीम आनंद से भर जाएगा। कमल की दूसरी निशेषता है-निर्मलता। कमल के चारों ओर जल और कीचड़ भी मेला है परन्तु वह सर्वया मल रहित निर्मल और स्वचा होता है। निर्मल कपल का यही उपदेश है जीवन निर्मल होना चाहिए। अपने जीवन वस्त्र पर किसी प्रकार का दाग नहीं होना चाहिए जीवन निपकलंक हो-मन्ति हिंसा, झूठ, चोरी व्यभिचार और परिग्रह के पाप से जीवन कलंकित नहीं हो। कमल की तीसरी निशेषता है- वह अत्यंत ही सुगन्धित होता है। अपने निकट आने वाले सभी को नह समान भाग से सुगंध ही प्रदान करता है। कोई कमल को सम्मान दे अपना कोई मोड़ दे फिर भी यह सुगंध ही देता है। उसकी सुगंध का प्रतीक है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।



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