सर्वोच्च पंचायत और संवैधानिक एजेंसियों पर सवाल उठाना संविधान की मूल भावना के विरूद्ध - विधानसभा अध्यक्ष देवनानी

सर्वोच्च पंचायत और संवैधानिक एजेंसियों पर सवाल उठाना संविधान की मूल भावना के विरूद्ध - विधानसभा अध्यक्ष देवनानी
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उदयपुर, । विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि सर्वोच्च पंचायत और संवैधानिक एजेंसियों पर सवाल उठाना संविधान की मूल भावना के विरूद्ध है। उनका सम्मान करना चाहिए। संषोधित वक्फ अधिनियम और प्रवर्तन निदेषालय की कार्यवाही के बाद जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। भारतीय संविधान सभी को अपनी बात रखने का अधिकार देता है, यदि किसी प्रकार का असंतोष है तो न्यायालय के द्वार खुले हुए हैं।

देवनानी बुधवार को उदयपुर प्रवास के दौरान यहां सर्किट हाउस में पत्रकारों से मुखातिब थे। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए श्री देवनानी ने कहा कि प्रवर्तन निदेषालय की कार्यवाही के बाद जिस प्रकार की बयानबाजी सामने आ रही है, यह न तो व्यावहारिक रूप से उचित है और न ही संवैधानिक रूप से। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन सरकारी एजेंसियों की स्वायत्ता पर सवाल उठाना देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। बेहतर यही है कि न्यायालय के माध्यम से अपनी बात रखी जाए।

संविधान और कानून से बढ़ कर कोई नहीं

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देष में संविधान और कानून से बढ़ कर कोई नहीं है। संषोधित वक्फ बोर्ड अधिनियम को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अधिनियम को लेकर पष्चिम बंगाल व तमिलनाडू में जिस तरह की स्थितियां उत्पन्न करने के प्रयास हो रहे हैं, वह किसी भी दृष्टिकोण से ठीक नहीं हैं। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग विघटनकारी तत्वों को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की जडे़ं इतनी गहरी है कि कोई भी लोकतंत्र को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। संविधान में स्पष्ट लिखा है कि यदि केंद्र सरकार बहुमत के साथ किसी बिल को पास करती है तो उसे सभी राज्यों को मानना पड़ता है। यह संघीय ढांचे का आधार है। वक्फ बिल संसद के दोनों सदनों ने पारित किया है, इसके बावजूद इस पर सवाल उठाना संविधान की मूल भावना पर सवाल उठाने के समान है। सुप्रीम कोर्ट ने भी वक्फ बिल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सभी राजनीतिक दलों को देश की सर्वोच्च अदालत और संवैधानिक सदनों पर विश्वास रखना चाहिए।

विधानसभा में अनुषासन रखना ही होगा

राजस्थान विधानसभा में हाल के सत्र में हुए घटनाक्रमों को लेकर सवालों का जवाब देते हुए श्री देवनानी ने कहा कि सदन नियम और परंपराओं से चलता है। विधानसभा में बैठने वाला हर व्यक्ति जनता के प्रति उत्तरदायी है तथा उसे अनुषासन की पालना करनी ही चाहिए। सदन में अनुषासन बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाते हुए कुछ सदस्यों का निलंबन किया गया था। सदन की परंपरा के अनुसार माफी मांगने पर निलंबन समाप्त भी कर दिया गया। इसके पश्चात संबंधित सदस्यों को जनता के प्रति अपनी जवाबदेही का निर्वहन करने के लिए सदन में आना चाहिए।

विधायिका के प्रति बढ़ी कार्यपालिका की जवाबदेही

श्री देवनानी ने कहा कि विधायिका के प्रति राज्य की कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया गया है और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। विधानसभा में 10 हजार से अधिक लंबित प्रश्नों मंे से 95 प्रतिशत के जवाब आए हैं। इनमें लगभग साढे़ चार हजार प्रश्न तो 15वीं विधानसभा के भी लंबित थे। इससे लोकतंत्र व जनता के प्रति उत्तरदायी शासन की संकल्पना मजबूत हुई है। पहली बार विधानसभा में पेपरलेस कार्रवाई, विधायकों के लिए आईपेड उपलब्ध करवाने सहित कई नवाचार किए गए हैं। यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायी है और गुड गवर्नेंस के लिए भी।

विदेशों में भारत का मान बढ़ा

श्री देवनानी ने कहा कि आज वैश्विक परिदृश्य में भारत एक मजबूत ताकत बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक ऊंचाइयों को छू रहा है। यह प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वो नेशन फर्स्ट का भाव रखें।

सदन में संजोया हैं संस्कृति और गौरव को

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में राजस्थान की संस्कृति और गौरव को भी संजोने का प्रयास किया गया है। इसके लिए महाराणा प्रताप का शौर्य, आदिवासी संस्कृति और संवैधानिक मूल्यों व कलाकृतियों को विधानसभा की राजनीतिक आख्यान संग्रहालय में संजोया गया है। इससे नई पीढ़ी को हमारी अनमोल धरोहर से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में गुलाबी रंग से परिवेश बेहतर बना है। इस दौरान उदयपुर ग्रामीण विधायक श्री फूलसिंह मीणा और समाजसेवी गजपाल सिंह राठौड़ भी उपस्थित रहे।

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