डूंगरपुर दोवड़ा: पुलिस हिरासत में 'मारपीट' से युवक की मौत? अफवाहों ने भड़काया बवाल, थाने पर पथराव, छावनी में तब्दील इलाका

डूंगरपुर, राजस्थान के डूंगरपुर जिले के दोवड़ा कस्बे में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत की अफवाह ने पूरे इलाके को तनाव की चपेट में ले लिया। सोमवार शाम को चोरी के मामले में हिरासत में लिए गए दिलीप अहारी (देवसोमनाथ कलारिया निवासी) की तबीयत बिगड़ने के बाद उदयपुर अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन वहां से मौत की खबर फैलते ही गुस्साए ग्रामीणों और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के समर्थकों ने थाने के बाहर चक्का जाम कर दिया। पुलिस की गाड़ी पर पथराव, उपाधीक्षक की कार के शीशे तोड़े गए – पूरा दोवड़ा छावनी में तब्दील हो गया।
पूछताछ में 'बर्बरता'? परिवार का गंभीर आरोप
दोवड़ा थाना पुलिस ने रविवार रात चोरी के एक मामले में दिलीप को उसकी बुआ के घर से हिरासत में लिया था। सोमवार सुबह थाने में पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। पुलिस का दावा है कि दिलीप नशे का आदी था, जिसकी वजह से यह हुआ। लेकिन परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने उसे बुरी तरह पीटा। "रात 2 बजे घर से घसीटकर ले गए, थाने में कोर्ट जैसा तांडव किया। मारपीट से ही हालत इतनी खराब हुई," एक परिजन ने बताया। जिला अस्पताल ले जाने पर हंगामा मच गया, फिर उदयपुर रेफर किया गया। वहां शाम को अफवाह फैली कि दिलीप की मौत हो गई।
X (पूर्व ट्विटर) पर #दोवड़ा_पुलिसकर्मी_बर्खास्त_करो और #दिलीप_अहारी_को_न्याय_दो जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। BAP सांसद राजकुमार राठौड़ ने पोस्ट किया, "दोवड़ा थाने में मारपीट प्रकरण में सभी साथी शांति बनाए रखें, लेकिन सरकार दोषी पुलिसकर्मियों को तत्काल बर्खास्त करे।" एक यूजर ने लिखा, "पुलिस ने खुद को कोर्ट समझ लिया? आधी रात रिमांड का ऑर्डर किस कोर्ट से लिया?" एक अन्य पोस्ट में वीडियो शेयर कर कहा गया, "दोवड़ा पुलिस ने दिलीप को मौत के कगार पर पहुंचा दिया। बर्खास्त करो!"
अफवाहों का तूफान: चक्का जाम से पथराव तक
उदयपुर से मौत की अफवाह फैलते ही सैकड़ों ग्रामीण और BAP कार्यकर्ता दोवड़ा पहुंचे। थाने के पास तिराहे पर चक्का जाम, पुलिस पर 'मारपीट' का आरोप लगाते हुए नारे। पुलिस ने समझाइश से जाम खुलवाया, लेकिन भीड़ ने फिर रास्ता रोका। तनाव चरम पर पहुंचा जब उदयपुर के सराड़ा से आए उपाधीक्षक चांदमल सिंघाड़िया की कार को रोका गया। भीड़ ने पथराव किया, शीशे तोड़ दिए, मुक्के मारे। उपाधीक्षक बाल-बाल बचे।
सलूम्बर, उदयपुर और अन्य थानों से अतिरिक्त फोर्स बुलानी पड़ी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार और कई CI मौके पर तैनात। X पर एक पोस्ट में लिखा, "पुलिस बर्बरता का शिकार आदिवासी युवक। असम की तरह सड़क पर उतरना पड़ेगा।" डूंगरपुर पुलिस ने X पर स्पष्ट किया, "आरोपी नशे का आदि था, तबीयत बिगड़ने से उदयपुर ले जाया गया। जांच जारी है।"
पुलिस का पक्ष: 'मारपीट के आरोपों की जांच'
पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार ने अपील की, "अफवाहों पर ध्यान न दें। युवक का इलाज चल रहा है, मारपीट के आरोपों की निष्पक्ष जांच होगी। दोषी पाए गए तो सख्त कार्रवाई।" लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा ठंडा नहीं। BAP कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर धरना शुरू कर दिया। मांगें साफ: सभी दोषी पुलिसकर्मी बर्खास्त, परिवार को 1 करोड़ मुआवजा, थाने में CCTV लगवाना। X पर एक यूजर ने लिखा, "आदिवासियों पर क्रूरता। पीड़ित परिवार को न्याय दो!"
क्या है सच्चाई? मौत हुई या नहीं?
अफवाहों के बीच पुष्टि नहीं हो सकी कि दिलीप की मौत हुई या नहीं। पुलिस का कहना है इलाज जारी, लेकिन X पर वीडियो और पोस्ट सवाल उठा रहे हैं। एक पोस्ट में कहा गया, "पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट भेजना था, खुद सजा क्यों दी?" इलाके में तनाव बरकरार, प्रशासन कड़ी नजर रखे हुए। अगर यह 'कस्टोडियल डेथ' साबित हुई, तो बड़ा राजनीतिक विवाद खड़े होने के आसार। BAP जैसी पार्टियां इसे आदिवासी अधिकारों पर हमला बता रही हैं।
