साधना और धर्माचरण ही मोक्ष का वास्तविक माध्यम : आचार्य महाश्रमण

साधना और धर्माचरण ही मोक्ष का वास्तविक माध्यम : आचार्य महाश्रमण
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उदयपुर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी के साथ त्याग, शौर्य, और बलिदान की वीर वसुंधरा मेवाड़ में अहिंसा यात्रा के माध्यम से नशामुक्ति , नैतिकता और सद्भावना का संदेश देते हुए विभिन्न क्षेत्रों का विचरण करते हुए धर्म प्रभावना कर रहे है।

श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण ने दो दिन तक उदयपुर जिले में प्रवास करने के बाद गुरुवार को उदयपुर जिले से विदाई लेकर राजसमन्द जिले की सीमा में प्रवेश किया। आचार्य महाश्रमण 27 नवम्बर को प्रात: सुखेर से विहार करके देलवाड़ा स्थित पारिजात रिसॉर्ट ढाबालॉजी पधारे। सांयकाल में आचार्य महाश्रमण पुन: विहार के लिए अग्रसर हुए और रात्रि प्रवास हेतु इग्निस ग्रेनाइट बिलोता पधारे। वहीं साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा का रात्रि प्रवास गवर्मेंट कॉलेज बिलोता में हुआ।

- 30 नवम्बर को पंजाब के राज्यपाल कटारिया करेंगे आचार्य के दर्शन

फत्तावत ने बताया कि आज से पुन: श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस ने आचार्य महाश्रमण की यात्रा का दायित्व अपने हाथ में लिया और मेवाड़ कांफ्रेंस के कार्यकर्ता पुन: यात्रा की व्यवस्था में जुट गए है। फत्तावत ने बताया कि उदयपुर के सर्व समाज जन, सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक, राजनैतिक संगठनों द्वारा आचार्य महाश्रमण के स्वागत में जिस तरह से पलक पावडे बिछा दिए और पूरे शहर को महाश्रमण मय बना दिया। उसके लिए मेवाड़ कांफ्रेंस द्वारा हृदय से आभार और धन्यवाद व्यक्त किया। फत्तावत ने बताया कि मेवाड़ यात्रा के दौरान विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और हस्तियों के आचार्य महाश्रमण के दर्शन हेतु आने का क्रम बना हुआ है। इसी कड़ी में 30 नवम्बर को नाथद्वारा से विहार करते समय मार्ग में पंजाब के राज्यपाल और चण्डीगढ़ के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया आचार्य महाश्रमण के दर्शन करेंगे।

आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद उपस्थित जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि क्रोध, मान, माया और लोभ रूपी कषाय पुनर्जन्म रूपी वृक्ष की जड़ को सिंचने का काम करते है। जब तक मोहनिय कर्म रहते है तब तक जन्म मरण का क्रम चलता रहता है। मोहनिय कर्म को क्षय करके व्यक्ति सिद्धता प्राप्त कर सकता है। एक बार सिद्धता प्राप्त हो जाए उसे कोई समाप्त नहीं कर सकता है। देवगति, मनुष्य गति बार बार मिल सकती है लेकिन सद्दगति आसानी से नहीं मिल पाती है। व्यक्ति के पास गाड़ी बंगला आज हो सकता है कल नहीं हो सकता है। आज नहीं है , कल हो सकता है लेकिन मोक्ष का बंगला ऐसा है जिससे व्यक्ति एक बार प्रवेश कर जाता है फिर कोई भी शक्ति उसे उस बंगले से बाहर नहीं निकाल सकती है। पारिजात रिसॉर्ट ढाबालॉजी के पारस बोल्या ने आचार्य महाश्रमण का रिसॉर्ट परिसर में पदार्पण पर स्वागत अभिनंदन करते हुए अपनी भावना प्रस्तुत की। आज के कार्यक्रम में पारिजात रिसॉर्ट ढाबालॉजी के येवन्तिकुमार बोल्या, पारस कुमार बोल्या का साहित्य समर्पण उपरना और स्मृति चिन्ह द्वारा अभिनंदन श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के रमेश डागलिया, धर्मेंद्र मांडोत, विनोद मांडोत ,गजेन्द्र सोनी द्वारा किया गया। अंत में उपस्थित जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।

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