कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय "भागवत कथा अमृत महोत्सव" का शुभारंभ

उदयपुर,। झीलों की नगरी के बेदला रोड, शुभ सुंदर टावर,साइफन चौराहा,पेट्रोल पंप के पास में पुष्कर दास महाराज द्वारा संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ शनिवार को हुआ। प्रथम दिन सबसे पहले महावीर नगर स्थित गणेश मंदिर से भागवत की पोथी ओर कलश का पूजन विधि विधान से किया गया द्य बाद में भागवत की पोथी को भगवान के चरणों में रखकर कलश यात्रा का शुभारंभ किया गया। मार्ग में सभी जगह कॉलोनी वासियों द्वारा जगह जगह पुष्प वर्षा करते हुए यात्रा का आदर पूर्वक सम्मान किया। महिलाओं ने अपने सिर पर कलश लेकर यात्रा में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। सभी महिलाएं भजनों पर झूमते हुए नृत्य करती हुई पूरे मार्ग में यात्रा में सम्मिलित हुई। मुख्य यजमान गौरी शंकर अग्रवाल ने परिवार के साथ भागवत की पोथी को सिर पर धारण किया और यात्रा में भाग लिया। यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं,पुरुषों ने भाग लिया। आगे कथा में प्रथम दिन यजमान परिवार द्वारा व्यासपीठ पर महाराज का सम्मान किया गया । आगे महाराज ने प्रथम दिन कहा जिस घर में क्लेश ज्यादा हे उस व्यक्ति का मन भगवान की भक्ति में नहीं लगेगा । हमारे विकार ही हमारी भक्ति में अवरोधक तत्व है द्य आज का युवा और वृद्ध दोनों व्यक्ति परेशान है। बालक वर्तमान में जीता हे तो वह खुश है। संत लोग निर्दोष होते हे संतों के पास मन की सफाई होती है। जिन्होंने प्रभु की भक्ति की वही परम भागवत है । बालक ध्रुव,भक्त प्रहलाद,नरसी मेहता,मीरा,तुकाराम,नामदेव सभी परम भागवत हुए। जनम जनम तक हरि नाम का धन ही साथ चलता है ।जो भगवान के बने वही परम भागवत बने द्य आज के समय में चारों तरफ दुख,अशांति चल रही हे पर जो भगवान की शरण में आए उन्हें शांति अवश्य मिलती है।
सत्संग रूपी ठंडक में जो आएगा उन्हें शांति मिलेगी। सत्संग से जुडऩे से संताप कम होता हे। भागवत ग्रन्थ इसलिए कहते हे क्यों कि ये ग्रन्थ मन की गांठों को खोलता है। मन भजन,कथा,श्रवण करने से प्रसन्न होता है द्य तन,मन,धन का सही उपयोग करने की जरूरत है द्य आगे महाराज ने कहा मेहनत से कमाए ओर शुभ कार्य में खर्च करे उसे लक्ष्मी कहते है। गलत कार्य में खर्च हो उसे अर्थ कहा जाता है। पैसा तो कही लोगों के पास हे परंतु सत्कर्म में सभी नहीं खर्च कर सकते है ।भागवत हमारी समस्या का जवाब देती है । ग्रन्थ की शरण में आने से हमारे हर प्रश्न का जवाब मिलता है। आजकल कथा के आयोजन जगह जगह हो रहे है लेकिन कथा के मर्म को समझने वाले अधिक नहीं है। कथा आत्मरंजन के लिए हो लेकिन मनोरंजन प्रधान होने से सत्संग की महिमा घट जाती है द्य महाराज ने कहा सत्य का संग करना ही सत्संग कहलाता है। भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए कहा भ का मतलब भक्ति, ग का ज्ञान, व का वैराग्य,और त का त्याग। रविवार को कथा में ध्रुव चरित्र का का वर्णन किया जाएगा ।कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक चल रही है ।