बडग़ांव में कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ

उदयपुर। शहर के बडग़ांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर होली चौक में मंदिर प्रतिमा पुनस्र्थापना समारोह के तत्वाधान में 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ कलश ओर पोथी यात्रा के साथ हुआ। सबसे पहले पुष्कर दास महाराज के सानिध्य में एवं पंडित सूर्यप्रकाश शर्मा के सानिध्य में हनुमान मंदिर, खेड़ा माता चौक में समस्त गांव वालों की ओर से पोथी का पूजन ओर कलश का पूजन विधि विधान से किया गया। बाद में सभी भक्तों ने अपने सिर पर पोथी लेकर यात्रा का शुभारंभ किया। महिलाएं कलश लेकर भजनों पर झूमते हुए यात्रा में सम्मिलित हुई। मार्ग में सभी क्षेत्र वासियों ने जगह जगह पुष्प वर्षा करते हुए यात्रा का आदर पूर्वक सम्मान किया । महिलाओं ने अपने सिर पर कलश लेकर यात्रा में बढ़ चढ़ कर भाग लिया द्य सभी महिलाएं भजनों पर झूमते हुए नृत्य करती हुई पूरे मार्ग में यात्रा में सम्मिलित हुई। आगे कथा पंडाल में समिति के सदस्यों ने पोथी पूजन के साथ कथा व्यास पुष्कर दास महाराज का सम्मान किया । आगे कथा में प्रथम दिन महाराज ने कहा जो भगवान के बने वही परम भागवत बने। आज के समय में चारों तरफ दुख,अशांति चल रही हे पर जो भगवान की शरण में आए उन्हें शांति अवश्य मिलती है। सत्संग रूपी ठंडक में जो आएगा उन्हें शांति मिलेगी । सत्संग से जुडऩे से संताप कम होता है। भागवत ग्रन्थ इसलिए कहते हे क्यों कि ये ग्रन्थ मन की गांठों को खोलता है । मन भजन,कथा,श्रवण करने से प्रसन्न होता है, तन,मन,धन का सही उपयोग करने की जरूरत है। आगे महाराज ने कहा मेहनत से कमाए ओर शुभ कार्य में खर्च करे उसे लक्ष्मी कहते है। गलत कार्य में खर्च हो उसे अर्थ कहा जाता है, पैसा तो कही लोगों के पास हे परंतु सत्कर्म में सभी नहीं खर्च कर सकते है। भागवत हमारी समस्या का जवाब देती है, ग्रन्थ की शरण में आने से हमारे हर प्रश्न का जवाब मिलता है। आजकल कथा के आयोजन जगह जगह हो रहे है लेकिन कथा के मर्म को समझने वाले अधिक नहीं है । कथा आत्मनुरंजन के लिए हो लेकिन मनोरंजन प्रधान होने से सत्संग की महिमा घट जाती है। महाराज ने कहा सत्य का संग करना ही सत्संग कहलाता है । भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए कहा भ का मतलब भक्ति, ग का ज्ञान, व का वैराग्य,और त का त्याग। विठ्ठल वैष्णव ने बताया कि कथा प्रतिदिन सांय 6.30 बजे से 9.30 बजे तक चल रही है।
