भागवत पढऩे ओर सुनने से दु:ख दूर होते हैं : महाराज

उदयपुर, । झीलों की नगरी के बडग़ांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, होली चौक में मंदिर प्रतिमा पुनस्र्थापना समारोह के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में कथावाचक पुष्कर दास महाराज के मुख से अमृतवाणी बरस रही है। संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन महाराज ने कहा कथा सत्संग इंसान को सुधारने के लिए है, जो कथा में डुबकी लगाएगा वो भव से पार हो जाएगा। कथा में 3 घंटे के लिए मन एकाग्र होकर रहता है, जो कथा को ध्यान से सुनेगा उसका मन रूपी हाथी दुनिया से ऊपर उठेगा। सत्संग एक सरोवर है , भागवत पढऩे का बहुत पुण्य है । आगे सोनक जी सूत जी से कहते है आपका ज्ञान करोड़ों सूर्य के प्रकाश के समान है। आनंद का पल ही ईश्वर का रूप है, राजा परीक्षित के पास भी 7 दिन की अवधि थी । परीक्षित को कथा में रस इसलिए लगा क्यूं कि राजा की मौत निकट थी, वे दिन जिसकी मौत निकट हो उसका मन कथा में ओर भजन में लगेगा । राजा ने शुकदेव जी से प्रार्थना की आप मेरी मुक्ति करो मेरे पास 7 दिन का समय बचा है । राजा ने अनीति के धन का मुकुट पहना इसलिए उसकी बुद्धि बिगड़ी और ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाला और ऋषि के बेटे को जब पता चला तो उसने राजा को श्राप दिया। संतों के आशीर्वाद से मती सही बनी रहती है तभी व्यक्ति प्रगति कर सकता है, कर्म की गति गहन है । कर्म करते समय सभी को ध्यान रखने की जरूरत है, पहले एक धृतराष्ट्र था, एक गांधारी थी परन्तु आज के समय में घर-घर में गांधारी मिलेगी जो अपने संतानों की गलतियों पर पर्दा डाले। आगे उत्तानपाद की दो रानी होती है सुरुचि और सुनीति। सुनीति ने अपने बेटे ध्रुव को अच्छे संस्कार दिए तभी बालक 5 वर्ष की उम्र में भक्ति करने को चलता है । ध्रुव को रास्ते में नारद जी मिलते है ओर कहते है बेटा तेरी उम्र तो अभी खेलने की है तू अभी से भक्ति की ओर क्यूं चला परंतु बालक कहता है भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती । बालक की इस बात से नारद जी प्रसन्न होते है ओर कहते तुझे प्रभु अवश्य मिलेंगे । नारद बालक को मंत्र दीक्षा देते है ओम नमो भगवते वासुदेवाय और इसी मंत्र को ध्रुव जाप करते है भगवान विष्णु बालक की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें जंगल में दर्शन देते है। विठ्ठल वैष्णव ने बताया कि अंत में भजनों पर सभी श्रोता खड़े होकर झूम उठे एवं सभी ग्राम वासियों ने सामूहिक आरती की।
