विश्व मत्स्य दिवस पर राज्य स्तरीय आयोजन, मत्स्य पालन के महत्त्व पर हुआ जोर

उदयपुर । विश्व मत्स्य दिवस के अवसर पर शुक्रवार को मत्स्य विभाग राजस्थान के तत्वावधान में ‘‘मत्स्य भवन’’ उदयपुर में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित हुआ। इसमें विषय विषेषज्ञों के व्याख्यान हुए। साथ ही मत्स्य पालन में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संयुक्त निदेशक मत्स्य विभाग उदयपुर डाॅ. अनिल कुमार जोशी ने अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए मत्स्य दिवस मनाने की आवष्यकता पर प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के प्रति जनजागरूकता के लिए वर्ष 2015 से ही 21 नवम्बर को मत्स्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने मत्स्य पालन व्यवसाय को अपनाने वाले मत्स्य कृषकों की आय में वृद्धि हेतु राज्य सरकार की वर्तमान योजनाओं की जानकारी दी। उत्कृष्ट मत्स्य पालकों की सेवाओं को याद करते हुए नवीन तकनीक की जानकारी दी। राज्य में मत्स्य उत्पादन की वृद्धि के लिये भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्स्य विभाग की पीएमएमएसवाय योजना के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन न केवल आजीविका अर्जन का माध्यम, अपितु पारिस्थितिकी संतुलन में भी सहायक है।
मुख्य अतिथि फिशरीज काॅलेज उदयपुर के पूर्व डीन एल.एल.शर्मा एवं पूर्व उप निदेशक मत्स्य अरूण कुमार पुरोहित द्वारा राज्य के जलीय विकास, पारिस्थितिकी तंत्र को स्वच्छ रखना एवं मत्स्य पालन से रोजगार एवं चुनौतियों के संबंध में विचार व्यक्त किए। मात्स्यिकी महाविद्यालय, उदयपुर के वरिष्ठ अधिष्ठाता डाॅ. एम.एल.ओझा ने देश के परिपेक्ष में मत्स्य उत्पादन एवं उसकी चुनोतियों के बारे में उद्बोधन दिया।
कार्यक्रम में मत्स्य दिवस की महता एवं मत्स्य कृषको/व्यवसायों के सामाजिक उत्थान के संबंध में कार्य करने पर जोर दिया गया। समारोह में प्रगतिशील मत्स्य कृषक एवं व्यवसायी पुरूषोतम सिंह खीची निवासी कोठारीया हाल उदयपुर का 50 वर्षो तक मत्स्य पालन का कार्य करने पर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में 70 मत्स्य कृषकों/व्यवसायियों ने भाग लिया। आभार सहायक निदेषक डाॅ. दीपिका पालीवाल ने व्यक्त किया।
