नस्ल सुधार कार्यक्रम की सफलता वांछित प्रजनन से ही संभव

उदयपुर । पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के लिये, पशुधन विकास एवं पशु उत्पादन वृद्धि के लिये नर पशुओं का अवांछित प्रजनन को रोकना नितान्त आवश्यक हैं। यह सम्बोधन डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने संस्थान में आयोजित संगोष्ठी में कहे। डॉ. छंगाणी ने पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों से अपेक्षा की कि वे अपने क्षेत्र के नकारा सांडों का बधिया कर पशुधन विकास में अपना योगदान दे अन्यथा ये नाकारा पशु कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम को भी असफल कर देते है। वैसे भी बधिया किये गये पशुओं को नियन्त्रण करना एवं शक्ति ऊर्जा के रूप में भी काम लेना आसान होता है।

संस्थान के उपनिदेशक डॉ. छंगाणी ने बताया कि बताया कि पशुओं की नस्ल सुधार हेतु कृत्रिम गर्भाधान की एवं अवांछित प्रजनन को रोकने के लिए बधियाकरण जैसी सुविधाएँ पशुपालन विभाग की समस्त संस्थाओं पर उपलब्ध है। पशुपालको को इसका लाभ उठाना चाहिए। वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. पद्मा मील ने बधियाकरण एवं डॉ. ओमप्रकाश साहू ने कृत्रिम गर्भाधान की जानकारी दी।

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