आत्मा का कट्टर शत्रु मिथ्यात्व है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

आत्मा का कट्टर शत्रु मिथ्यात्व है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

नाहर ने बताया कि बुधवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन में कहा कि आप काई भी धर्म क्रिया करों वह धर्म तभी ही बनेगी जब सम्यकत्व का आपके मन में प्रगटीकराण हुआ है, सम्यकत्व के अभाव में धर्म क्रिया क्रिया बनकर रह जाएगी। धर्म नहीं बनेगी। आचार्य ने इस विषय को गहराई से समझाते यह भी कहां कि मिथ्यात्व सम्यकत्व का विरोधी दोष है और धर्म क्रिया को विफल करने वाला तत्व है जबकि सम्यकत्व नीचे से लेकर उपर तक की धर्म क्रिया का प्राणतत्व है। चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि आयड़ तीर्थ में 9 अक्टूबर से नवपद जी की आयंबिल ओली सामूहिक रूप से मनाई जाएगी। जिसमें समग्र जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज को आने का आव्हान किया।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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