सामायिक मोक्ष का सर्वश्रेष्ठ अंग : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

सामायिक मोक्ष का सर्वश्रेष्ठ अंग : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
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उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने चातुर्मासिक प्रवचन में परमात्मा की वाणी के माध्यम से सामायिक का विवेचन में बताया कि सर्वज्ञ भगवंतों के द्वारा निर्दिष्ट सामायिक धर्म यह मोक्ष का श्रेष्ठ अंग है, साधन है सामायिक अर्थात् समभाव" । कैसे भी अनुकूल या प्रतिकूल संयोग खडे हो परन्तु उन संयोगों में मन में लेश मात्र भी राग या द्वेष के परिणाम पैदा न हो यह सामायिक की उत्कृष्ट भूमिका है। उस भूमिका को लक्ष्य में रखकर ही हमें सामायिक धर्म की आराधना-साधना करने की है। तीर्थंकर परमात्मा केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद सर्व प्रथम सामायिक धर्म का ही उपदेश देते हैं। परमात्मा से पूछा गया कि-परमात्मा। सामायिक से जीवात्मा को क्या लाभ होता है? परमात्मा ने फरमाया कि सामायिक से सावध योग यानि पापकारी प्रवृत्तियों का त्याग होता है। एक व्यक्ति प्रतिदिन कारण खांडी सुवर्ण का दान करता है और एक व्यक्ति प्रतिदिन सामायिक करता है। इतना दान देने वाला भी सामायिक की बराबरी नहीं कर सकता है। इतना लाभ इस सामायिक में रहा हुआ है। हमें समता में रहकर सामायिक करता है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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