शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में छाया क्लासिकल का जादू

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में छाया क्लासिकल का जादू
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उदयपुर, । सावन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के दो दिवसीय ‘मल्हार‘ कार्यक्रम का भारतीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य के शानदार नवाचारों के साथ आगाज हुआ। शनिवार को मशहूर संगीतज्ञ मुजफ्फर रहमान की पेशकश ताल वाद्य कचहरी और माया कुलश्रेष्ठ के कथक बैले ने इंडियन क्लासिकल के रसिकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कश्ती फाउण्डेशन की फाउण्डर श्रद्धा मुर्डिया, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान, उपनिदेशक (कार्यक्रम) पवन अमरावत, सहायक निदेशक (वित्त एवं लेखा) दुर्गेश चांदवानी के साथ ही कथक नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ और संगीतज्ञ मुजफ्फर रहमान ने दीप प्रज्वलन कर किया।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि रविवार को पं. सुभाष घोष अपने विशेष वाद्य यंत्रों सरसवाणी और स्वर रागिनी (वाद्य यंत्र) पर शास्त्रीय संगीत की अनूठी प्रस्तुति देंगे। वहीं, वाणी माधव ओडिसी नृत्य पेश करेंगी। उन्होंने बताया कि रविवार को भी कार्यक्रम में प्रवेश निशुल्क रहेगा।

विभिन्न वाद्य यंत्रों के एक निश्चित ताल में समावेश से दिल जीता रहमान ने -

कार्यक्रम का आगाज जब मशहूर संगीतकार मुजफ्फर रहमान ने अपनी टीम के साथ ‘ताल वाद्य कचहरी’ से किया तो अवनाद वाद्य यंत्रों (झिल्लीदार सामग्री या चमड़े से बने वाद्य) पखावज, नगाड़ा, ढोलक, तबला, सारंगी और हारमोनियम के अनूठे प्रयोग से निकली धुनों पर शास्त्रीय संगीत प्रेमियों से ठसाठस भरा दर्पण सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पेशकश के दौरान रहमान एंड पार्टी ने जब पेशकार के बाद कायदे, घूमर अंग के कायदे, रेले, गतें और फरमाइशी चक्करदार गत पेश की तो क्लासिकल के तमाम जानकारों ने खुले दिल से भरपूर दाद दी। पेशकश के अंतर्गत अवनाद वाद्यों से विलंबित और द्रुत लय पर इन्होंने जमकर वाहवाही लूटी। बता दें, देश-विदेश के कई कार्यक्रमों अपनी पेशकश से संगीत प्रेमियों की सराहना पा चुके युवा संगीतकार रहमान की यूट्यूब पर प्रस्तुति को अब तक करीब एक लाख दर्शक देख चुके हैं।

माया के “कृष्ण-द सैवियर” ने दिया श्रीकृष्ण संबंधी प्रश्नों का सटीक जवाब-

माया कुलश्रेष्ठ का नृत्य-नाट्य “कृष्ण-द सैवियर” श्रीकृष्ण के साथ राधा, रुक्मिणी, द्रौपदी और मीरा के अनंत एवं आध्यात्मिक संबंधों को दर्शाता है। दरअसल, प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना माया ने इस पेशकश के जरिए न सिर्फ इन स्त्रियों के कृष्ण संग संबंधों के बारे में उठ रहे सवालों का सटीक जवाब दिया कि वास्तव में श्रीकृष्ण तो स्त्रियों के सम्मान और स्वाभिमान के रक्षक और उनका मनोबल बढ़ाने वाले थे। उन्होंने जहां मीरा को दिए जाने वाले जहर को अमृत बना दिया, वहीं द्रौपदी के कौरव सभा में चीरहरण के समय उसकी एक पुकार पर पहुंच उनके सम्मान की रक्षा भी की। वहीं, यह प्रसंग भी जीवंत हुआ कि कृष्ण ने बांसुरी राधा के साथ थे तब तक ही रखी, फिर छोड़ दी थी। कथक बैले के दौरान इन प्रसंगों को जीवंत करने वाले दृश्यों ने कला प्रेमियों का मन मोह लिया। इनके साथ ही श्रीकृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेशों की प्रस्तुति जब मंच पर नृत्य के माध्यम से जीवंत हुई तो दर्शक वाह वाह कर उठे और सभागार तालियों से गूंज उठा। अंत में राग मल्हार पर पेश कथक ने खूब तालियां बटोरी। राग मिश्र में तीन ताल वाली इस पेशकश में तमाम बंदिशें खुद माया कुलश्रेष्ठ ने लिखी हैं। इसमें कथक के प्राचीन बोल लिए गए हैं।

ये रहीं शामिल:

इस प्रस्तुति में माया कुलश्रेष्ठ के साथ बृजेश कुमारी, नेहा महावर, नंदिनी कुमार और कृति राठौड़ ने शिरकत की।

अंत में सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित ने किया।

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