‘एक शाम ग़ज़ल के नाम‘ में छाया डॉ. स्मिता की आवाज़ का जादू: जिंदगी की आफतों में तेरे...महफूज़ घेरे हैं.....तेरी रहमतों के बादल घनेरे हैं.....

जिंदगी की आफतों में तेरे...महफूज़ घेरे हैं.....तेरी रहमतों के बादल घनेरे हैं.....
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उदयपुर। उदयपुर डेण्टल क्लिनिक और लफ़्ज़ों की महफ़िल के साझे में आयोजित एक शाम गजल के नाम में उदयपुर डेंटल क्लिनिक, सेवाश्रम और भुवाणा की डायरेक्टर डॉ.स्मिता सिंह ने अपनी आवाज़ का जादू शायरी में संजोया। बहुत खूबसूरत अन्दाज़ में डॉ स्मिता सिंह ने अपनी कविताएँ और दाग़ देहलवी, साहिर, निदा फ़ाज़ली और बशीर बद्र की कुछ ग़ज़लें “एक शाम ग़ज़ल के नाम“ में बेहतरीन अन्दाज़ में प्रस्तुत की।

डॉ. स्मिता ने अपनी कविता मेरी अर्ज़ी तेरी मर्ज़ी भगवान को संबोधित करते हुए उसकी चंद लाइने ‘‘इस बरस मेरी अर्जी की बारी है.. खिलाफ तो दुनिया सारी है....जो तेरे हों निगाहे करम..तो पूरी मेरी तैयारी है...जिंदगी की आफतों में तेरे...महफूज़ घेरे हैं.....तेरी रहमतों के बादल घनेरे हैं.....वरना ऐसे कई अज़ीज़ मेरे हैं... जो मेरे मुंह पर मेरे हैं और तेरे मुंह पर तेरे हैं‘‘ प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इस दौरान उन्होंने निदा फाजली की कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता तथा दाग देहलवी की तुम्हारे खत में नया एक सलाम किसका था व बशीर बद्र की ‘है अजीब शहर की जिंदगी’ प्रस्तुत कर सम्मोहित कर दिया।

अशोका पैलेस के मुकेश माधवानी ने बताया इस अंदाज़े शायराना शाम को दर्शकों से खचाखच भरे हुए हॉल में सभी ने खूब सराहा। कार्यक्रम का सफल संचालन सुश्री प्रीता भार्गव ने किया।

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