जो जितना तपेगा वो उतना निखरेगा : बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी
उदयपुर, । गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुलक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के तहत दस लक्षण महापर्व आयोजन की धूम जारी है।
चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि शनिवार को गमेेर बाग धाम में बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम दिवस भक्तिभाव से मनाया गया। इस दौरान 400 से अधिक जोड़ों ने दस लक्षण विधान की पूजा-अर्चना की व मूलनायक भगवान पर शांतिधारा व पंचामृत अभिषेक किया। जीवन में रोगों के नाश हेतु 108 कलशों का अभिषेक अतिशय कारी मूलनायक भगवान पर महामस्तकाभिषेक किया गया। आज प्रभु के मस्तक पर जैसे जैसे दूध की शांतिधारा होती गई, वैसे-वैसे प्रभु का मुख चमकने लगा। कामधेनु प्रभु पर अभिषेक करनें की होड़ सभी श्रावक-श्राविकाओं में लगी रही। आज हुई उत्तम तप धर्म की विशेष पूजा और वनस्पतिक काय से ले कर बड़े से बड़ा जीव सभी की रक्षा करनें के अरग्य चढ़ाये गये।
सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत ने बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने प्रवचन में कहंा कि उत्तम तप मन की विशुद्धि जो जितना तपेगा वो उतना निखरेगा। व्रत नियम उपवास आदि के माध्यम से शरीर की शुद्धि के साथ आत्मा की शुद्धि करना आत्मा से परमात्मा बनाने का उपाय करना है। आज मनुष्य मन के विकारो से इस कदर फँस चुका है कि वह चाह कर भी सदकर्माे को नहीं अपना पा रहा है ऐसे में विधान न केवल मन के विकारों को दूर करते है, अपितु मन में अच्छे भावों का भी संचार करते है। गुरु ज्ञान की वो अनुपम निधि है जिसके माध्यम से मनुष्य का चहुंमुखी विकास होता है और उसी के माध्यम से हमे हमारे मन के भावों में संस्कारों का बीजारोपण होता है। उन्होंने कहां कि ज्ञान मनुष्य को विनयशाली बनाता है परंतु भौतिकवादी इस युग में ज्ञान का जिस तरह बाजारीकरण हो रहा है वो भावी पीढ़ी के लिए सुखद संकेत नही है हमे अपनी नव पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ साथ धर्म का ज्ञान भी देना होगा ताकि वह अपने धर्म के मार्ग से विमुख ना हो। संसार में गुरु से बढ़ कर कोई नही है ओर इसका आदर सम्मान हमारा नैतिक दायित्व है।
कार्यक्रम का संचालन लोकेश जैन जोलावत ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।