आमलशाह खान की स्मृति में नाटक “एक और मौत” का मंचन

उदयपुर। मौलिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ क्रिएटिव एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर से डॉ. आलम शाह खान की स्मृति में प्रस्तुत नाटक "एक और मौत" ने दर्शकों को गहरे सोचने पर मजबूर कर दिया। इस कहानी का लेखन स्वर्गीय डॉ. आलम शाह खान ने किया है, जिसका नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन संदीप सेन ने किया। यह प्रस्तुति आलम शाह खान यादगार कमेटी द्वारा डॉ. खान की पुण्यतिथि पर आयोजित की गई।

नाटक की कथा समाज के उस तबके को उजागर करती है, जिसका रोजमर्रा की कमाई से जीवन चलाता है। कुल्फी बेचकर दो बच्चों व पत्नी का पेट पालने वाले एक ईमानदार और संघर्षशील व्यक्ति जेठूमल का किरदार संदीप सेन ने जीवंत रूप से निभाया।

कभी मौसम की मार, कभी स्कूल के बच्चों की जल्दी छुट्टी जैसे कारणों से कुल्फी नहीं बिकती जिससे जैठूमल को अपने बच्चों का पेट भरने के लिए पानी में चीनी घोलकर पिलाने पर मजबूर होता है। हालात तब और बिगड़ती हैं जब पड़ोस में एक मौत हो जाती है और शोकवश उसे एक और दिन व्यवसाय बंद रखना पड़ता है। कर्ज पर लिया कुल्फी का सामान, घर की भूख और मानसिक तनाव से जूझता जैठूमल जब उस मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार में पहुँचता है, तो असहाय मनःस्थिति में उसके मुंह से “राम नाम सत्य है” की जगह अनायास “कुल्फी ले लो” निकल जाता है।

नाटक मानवीय पीड़ा, परंपरागत सामाजिक व्यवस्था की विडंबनाओं, और नीचले तबके की रोजमर्रा की परेशानियों को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करता है। इसमें मुख्य कलाकार के रूप में संदीप सेन व पायल मेनारिया तथा सह कलाकार प्रवर खंडेलवाल, सिद्धार्थ शर्मा, यश कुमावत और जतिन भरवानी शामिल थे। संगीत की जिम्मेदारी भी जतिन भरवानी ने निभाई।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता पानेरी ने किया और आयोजन सचिव डॉ. तराना प्रवीन रहीं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. सत्यनारायण व्यास, विशिष्ट अतिथि डॉ. सरवत खान तथा अध्यक्ष डॉ. लईक हुसैन उपस्थित रहे।

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