धर्म का सम्बल जीवन मे बहुत महत्वपूर्ण- जिनेन्द्र मुनि
गोगुन्दा। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ महावीर जैन गौशाला उमरणा के स्थानक भवन में जिनेन्द्र मुनि ने कहा कि धर्म अंतर शांति और साहस का संचार करता है। धर्म की डगर पर चलने वाला कभी लक्ष्य से नही भटकते है। धर्म से संचलता मिटती है। मन और इंद्रियों पर अनुशासन होता है। धर्म व्यक्ति को अपने आप से जोड़ता है। मुनि ने कहा धर्म सम्पूर्ण जीवन को संतुलित और संयमित बनाता है। धर्म जीवन का अमृत है। संत ने जोर देकर कहा कि धर्म जीवन और जगत का आधार है। धर्म दुर्गति से बचाकर सुगति देता है। समभाव से रहने की सुमति धर्म ही प्रधान करता है। धर्म की महिमा अवर्णिनीय है। मुनि ने कहा धर्म के मर्म को बहुत कम लोग जानते है।
प्रवीणमुनि ने कहा कि जीवन समस्या और संघर्ष का केंद्र रहा है। जहाँ समस्याये है वहा संघर्ष भी अवश्यंभावी रहा है। रितेश मुनि ने कहा सम्यक्त्व तो सूर्य के समान होता है। जिसके समीप मिथ्यात्व रूपी तमस का ठहराव नही हो पाता है। सम्यक्त्व जब आत्मा में पैदा होता है तो आठ कर्मो से मनुष्य कर्म को छोड़ता है। प्रभातमुनि ने कहा कि माया के जूठे बंधन में बंधकर निज धर्म से विमुख हो जाता है।