सांसारिक भोग-सुखों में कदापि तृप्ति नहीं होती : जैनाचार्य महाराज

उदयपुर, । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बड़े हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि सोमवार को आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा संसार में सभी भौतिक सुख क्षणिक है। अनंत काल से चारों गतियों में परिभ्रमण करती हुई हमारी आत्मा ने पूर्व में सभी प्रकार के भोग सुखों का अनंत बार भोग किया है। देवलोक के असंख्य वर्षों के आयुष्य में दिव्य सुखों का अनुभव किया है। दैविक सुखों के सामने मानवीय सुख अति तुच्छ और हीन हैं । जब अपार दैविक सुखों का अनुभव करने पर भी हमारी आत्मा भोग- सुखों से तृप्त नहीं हुई है तो मानवीय भोग सुखों से तृप्ति कैसे हो सकती है। इंद्रिय जन्य भोग सुखों को पाने के लिए मनुष्य जीवन भर प्रयत्नशील रहता है। कदाचित उच्च कक्षा के भोग सुखों की प्राप्ति हो भी जाए तो भी मानवीय शरीर अति तुच्छ और शक्तिहीन है। भोग- सुखों की मर्यादा का उल्लंघन होने पर शरीर रोगों का घर बन जाता है। अत: क्षणिक और नाशवंत भोगों का त्याग करने पर ही सच्चा सुख प्राप्त हो सकता है। दुनिया के सारे पद क्षणिक हैं। चाहे कितना भी बड़ा पद प्राप्त हुआ हो आयुष्य की मर्यादा होने के कारण एक न एक दिन सभी को पद छोड़ना ही पड़ता है। चाहे राजा हो, वासुदेव हो, चक्रवर्ती हो या देवेंद्र का पद हो सभी पद एक दिन छोड़ना ही पड़ते हैं शाश्वत पद एकमात्र सिद्ध पद हैं। संसार में परिभ्रमण करते हुए हमने अन्य सभी पद अनेक बार प्राप्त किए हैं, यदि नहीं प्राप्त किया है तो वह है सिद्ध पद। सिद्ध पद पाने के लिए आत्मा के समस्त कर्मों का क्षय करना जरूरी है। कर्मों का क्षय आत्मिक साधना से ही हो सकता है। आत्मिक साधना करने हेतु पांच इंद्रिय-विषय भोगों का त्याग करना चाहिए।
श्रीसंघ के अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि आगामी 13 अगस्त को प्रात: 9 बजे आचार्य राज तिलक सूरीश्वर महाराज की 27 वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। इस निमित्त गुरु गुणानुवाद सभा के साथ- साथ तप और तपस्वी वंदना का सुन्दर संगीतमय कार्यक्रम आयोजित होगा। इस दौरान सामूहिक उपवास की आराधना होगी।
इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, जसवंत सिंह सुराणा, भोपाल सिंह सिंघवी, गौतम मुर्डिया, प्रवीण हुम्मड सहित कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रही।