खेती में आधुनिक ज्ञान और परंपरागत ज्ञान का संगम होना चाहिए. शिवराज सिंह

नई दिल्ली, । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और आईसीएआर संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन का आज पूसाए दिल्ली स्थित सुब्रमण्यम सभागार में शुभारंभ किया। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल.् जाट एवं सभी उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। यहां चौहान ने कहा कि मैं आईसीएआर को कृषि शिक्षाए विस्तार और अनुसंधान के मंदिर के रूप में देखता हूं। कृषि क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां गर्व करने वाली है और वर्तमान स्थिति में आईसीएआर देश का गौरव है। वैज्ञानिक लगातार अनुसंधान में लगे हुए हैं। कृषि विश्वविद्यालय भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैंए लेकिन अभी भी हमें कई अन्य लक्ष्यों को हासिल करना है व गेप को भरना है। दो टाइम का भरपूर पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना हमारा मंत्र है।
आज का यह आयोजन विभिन्न मुद्दों पर गंभीरतापूर्ण विचार करने का अवसर है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि अगर मैंने इस भवन को मंदिर कहा है तो इसका भगवान किसान है और हम सब उसके पुजारी हैं। उस किसान की जिंदगी कैसे बेहतर बनाएंए ये हमारा काम है। किसान अन्न के भंडार भरता हैए जिससे फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित होती है। किसान धरती की सुरक्षा भी करता है। आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरती बचे। पेस्टिसाइड और फर्टिलाइजर का अनियंत्रित उपयोग मिट्टी के स्वास्थ्य को खराब कर रहा है।किसी जमाने में अमेरिका का सड़ा हुआ पीएल 480 गेहूँ खाना पड़ता थाएआज हम 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ़्त अनाज दे रहे हैं। एक टाइम क्योंए दो टाइम भोजन करना हैए पोषणयुक्त खाएंगे और खिलायेंगे।
शिवराज सिंह ने कहा कि हम कुछ मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने के लिए बैठे हैं। प्रधानमंत्री जी का संकल्प है विकसित भारतए ये मेरे लिए मंत्र है। मैं ऐसा कृषि मंत्री हूँ। जो अभी पदयात्रा कर रहा हूँ 25 और 26 को। लोगों को जोड़ना है तो पैदल चलने से बढ़िया कुछ नहीं है। विकसित भारत के लिए विकसित कृषि और समृद्ध किसान। हमारा उद्देश्य एक है। देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना। और भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाना। किसानों की आजीविका भी सुनिश्चित करना हैए इसे फायदे का धंधा बनाना है नहीं तो खेती कौन करेगा।
शिवराज सिंह ने कहा कि हमारी एक टीम हैए मार्गदर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। हमारा मंत्र है एक राष्ट्रए एक कृषिए एक टीम। हम एक दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमारी रणनीति तैयार हैए हमें मिलकर 6 काम करना है। उत्पादन बढ़ाना, पर हेक्टेयर ईल्ड कैसे बढ़े। दूसरा कॉस्ट कैसे कम हो। नंबर तीन उत्पादन के दाम ठीक देना है। फूड प्रोसेसिंग में क्या.क्या सोच सकते हैं। चौथा है नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई। उसके बाद कृषि का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है।
शिवराज सिंह ने कहा कि एक यक्ष प्रश्न आज खड़ा है कि आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित कैसे रखा जाए।हमने सोचा लैब में बैठे वैज्ञानिकए यूनिवर्सिटी में बैठे वीसीए ज्ञटज्ञ की टीमए राज्य सरकारए केंद्र सरकारए सब मिलकर एक हो जाएँ। विकसित कृषि संकल्प अभियान में हम किसानों के लिए मिलकर निकलेंगे। लैब में रिसर्च हो और लैंड में पता ही न होए तो क्या फायदा। इसे धरती पर ले जाना जरूरी है। इसमें सभी लोग बाहर फील्ड में निकलें। एक जिले में 2 टीम जाएंगी। मैं वाइस चांसलर्स और विद्यार्थियों से भी कहूँगा कि आप किसानों से चर्चा करेंए जलवायु कैसे हैए माटी कैसी है। कौन सी फसल अच्छी हो सकती है। हम निकलेंगे भी और इसी खरीफ फसल में उत्पादन बढ़ाकर दिखायेंगे और लागत घटा कर दिखायेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शोध पत्रों और पुस्तकों का लाभ आम किसान को होना चाहिए। साथ ही कहा कि यूनिवर्सिटी से निकले कितने बच्चे एग्रो बिजनेस से जुड़े हैंए इसका आकलन किया जाएं। किसी ने स्टार्टअप शुरू किया हैए किसी ने खेती शुरू की है कि नहींए इसका अध्ययन करें। कृषि की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वो शिक्षा खेती के काम आना चाहिए। पढ़ाई व्यावहारिक होना जरूरी है। सैलेरी और रिसर्च का अनुपात क्या होना चाहिएए संसाधनों का बेहतर उपयोग कैसे हो यह देखें। किसानों की मदद के लिए मोबाइल एप या हेल्पलाइन भी होना चाहिए। साथ ही देखें कि हम अपने क्षेत्र में किसानों की क्या मदद कर सकते हैंघ् आप खुद सोचोए हमारा विश्वविद्यालय भारत में टॉप थ्री में कैसे आये। उन्होंने कहा कि आधुनिक ज्ञान और परंपरागत ज्ञान का संगम कैसे होए ये सोचें। कई बार किसान व्यावहारिक क्षेत्र में ज्यादा समझता है। हर वीसी दो.तीन बेस्ट प्रेक्टिस साझा करें। सभी विश्विद्यालय के बीच सार्थक प्रतिस्पर्धा होना चाहिए। केवल वीसी बनकर हम संतुष्ट नहीं हो सकते हैंए बेहतर से बेहतर करने की कोशिश करें। अगली बार जब हम बैठें तो हम ये रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करें कि हमने ये तय किया था और उस पर हमने ये काम किया तो बैठना सार्थक होगा।