पशुपालकों की कार्यकम योजनाओं में हो आत्म संतुष्टि

उदयपुर, । विभागीय कार्यक्रम योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ उसमें प्राप्त होने वाले शत-प्रतिशत परिणामों से ही पशुपालकों की आत्म संतुष्टि होगी एवं उनका सर्वांगीण विकास होगा यह संबोधन संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने विभागीय योजनाएं एवं जनसहभागिता विषयक समूह चर्चा में दिया। डॉ. छंगाणी ने बताया कि कार्यक्रम योजनाओं की सफलता जनसहभागिता पर निर्भर करती है। जनसहभागिता, प्रचार प्रसार के नवीनतम साधनों का उपयोग कर एवं योजनओं के परिणाम से पशुपालकों को संतुष्टि होने पर ही प्राप्त किये जा सकते है। डॉ. छंगाणी ने मुंहपका खुरपका रोग का उदाहरण देते हुए कहा कि पशुपालकों को अपने पशुओं मे इस रोग से बचाव का टीका लगवाने के लिए जब उन्हें अहसास होगा, कि टीकाकरण से जहां हमारा राज्य भी देश के उन राज्यों में सम्मिलित हो जायेगा जो कि इस रोग से पूर्णतः मुक्त है एवं साथ हमारे दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता एवं मूल्यों एवं मांग में भी वृद्धि होगी आर्थिक नुकसान से भी बचाव होगा तभी पशुपालन इस कार्यक्रम में अपनी पूर्ण जनसहभागिता प्रदर्शित करेंगे एवं वे आत्म संतुष्ट होंगे। डॉ. पदमा मील ने बताया कि विभागीय योजनाओं का सफल क्रियान्वयन, लाभार्थी रूपी पशुपालक योजनाओं के लाभ एवं अवरोधक के बारे में स्पष्ट राय जानने से ही होगा। इस अवसर पर डॉ. ओमप्रकाश साहू पन्नालाल शर्मा एवं पशुपालन डिप्लोम विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे।