जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा: सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से जीवंत हुई आदिम संस्कृति

फोटो संलग्न
उदयपुर, 15 नवम्बर। जनजातीय गौरव दिवस पखवाड़ा के तहत शनिवार शाम को नगर निगम के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में जनजातीय सांस्कृतिक संध्या का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम में जनजातीय लोक कलाकारों ने अपनी समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को मनमोहक प्रस्तुतियों के माध्यम से जीवंत कर दिया।
टीएडी उपायुक्त निरमा विश्नोई तथा पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। दोनों अधिकारियों ने जनजातीय कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि उदयपुर की जनजातीय पहचान अपनी संस्कृति और परंपराओं के कारण विश्वभर में अलग स्थान रखती है।
जनजाति कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ गेर नृत्य, गवरी नृत्य, स्वागत गीत तथा अन्य लोक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ताल, लय और अद्भुत ऊर्जा से भरी इन प्रस्तुतियों ने सभागार में मौजूद दर्शकों का मन जीत लिया।लोक कलाकार अमित गमेती और उनकी टीम ने मेवाड़ के विष्व प्रसिद्ध लोक नृत्य नाटिका गवरी का मंचन किया। वहीं कलाकार गंगाराम के नेतृत्व में जनजातीय महिला समूह ने लोक गीत पधारो परदेसी पामणा की प्रस्तुति दी। केसुलाल एवं टीम ने गेर नृत्य की प्रस्तुति ने मौजूद को जोष से भर दिया। इससे पूर्व जनजाति विद्यार्थियों ने भी गीत, लोक गीत आदि की प्रस्तुतियां दी।
अतिथियों ने जनजातीय समाज की संस्कृति को संरक्षित करने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम के माध्यम से जनजातीय समुदाय की कला, संगीत और लोकनृत्य को व्यापक पहचान दिलाने का संदेश दिया गया। संचालन रणवीरसिंह राणावत ने किया।
